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सोवियत संघ
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सन् १९३६ मे इस शासन-विधान मे संशोधन किया गया । सोवियत नाम तो रहा किन्तु सोवियत-व्यवस्था उठा दीगई। अप्रत्यक्ष चुनाव-प्रणाली.त्याग दोगई और सोवियत काग्रेस हटा दीगई। अब छोटी-बडी समस्त सोवियतो का प्रत्यक्ष रूप से, जनता द्वारा ही, चुनाव होता है और छोटी सोवियते बडी सोवियतो का नियन्त्रण नहीं करती। सघ की सुप्रीम कौसिल, अन्य देशो की पार्लमेन्ट की भॉति, सबसे बडी धारा-सभा है । इसका चुनाव किसानो तथा मज़दूरो द्वारा अब समान मताधिकार से होता है। पुराने बचेखुन्चे सम्पत्तिशानियो को मताधिकार प्राप्त नहीं है। सुप्रीम कौसिल मे दो सभाये हैं : संघ की कौसिल (कौसिल अाप यूनियन), जिसमे ३ लाख आबादी पर एक प्रतिनिधि होता है, दूसरी राष्ट्रों की कौसिल ( कौसिल आफ नेशने-लिटीज), जिसमे प्रत्येक संघीय जनतन्त्र के २५ सदस्य होते हैं और स्वायत्त- भोगी जातिगत प्रदेशो के प्रतिनिधियो के लिये जिसमे एक संख्या नियत है। सुप्रीम कौसिल प्रत्येक जनतन्त्र के लिये एक प्रेसिडेसी का चुनाव करती है, जिसमे १५ सदस्य तथा एक अध्यक्ष होता है । अध्यक्ष प्रत्येक प्रजातन्त्र राज्य का राष्ट्रपति होता है। सुप्रीम कौसिल ही संघ के मन्त्रिमण्डल ( कौसिल ग्राफ दि पीपल्स कमिसास) का चुनाव करती है, जो सुप्रीम कौसिल के प्रति उत्तरदायी होता है । कमिसार्स कौसिल का अध्यक्ष प्रधान-मंत्री होता है । आजकल कामरेड जोसफ वी० स्तालिन प्रधानमंत्री है । इस समय सोवियत संघ मे १५ प्रजातंत्र राज्य हैं, जिनमे उपरोक्त प्रणाली की अपनी सरकार कायम हैं । रूस मे १८० प्रकार की जातियाँ बसती है, अतएव सनको स्वराज का उपभोग प्राप्त होने के विचार से, प्रजातन्त्रों के अन्तर्गत, कौमी जनतन्त्र, स्वायत्तभोगी प्रदेश और स्वतन्त्र इलाके कायम कर दिये गये हैं। सोवियत संघ के प्रन्द्रह प्रमुख प्रजातन्त्र-रूस, यूक्रेन (जिसका अधि- काश भाग, १६४१ मे, नात्सी-साम्राज्य-लिप्सा का शिकार हुया या), श्वेत लस, प्रारमीनिया, जार्जिया, अजरवेजान, उजवकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमा- निस्तान, ताजिकिस्तान, किरगिजिया तथा लेटविया, लिथुन्यानिया, ऐल्टोनिया.और मोल्दाविया (जिनमे प्रथम तीन को, जुलाई १६४१ में, लस पर याक्रमण के समय, जर्मनी और चौथे को, उसी अवसर पर, रूमानिया अपहरण कर चुका