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स्याम और राष्ट्रीय उत्थान की नीति ग्रहण की है। स्याम की जिन देशों के साथ सन्धियाँ थीं, १६३६ मे उन्हे रद कर दिया गया। उनके स्थान पर समता, न्याय और स्याम के आर्थिक आधिपत्य के आधार पर, नये सिरे से, सन्धियाँ की गई । ग्रेटब्रिटेन के साथ भी स्याम की मैत्री सन्धि और पारस्परिक अना- क्रमण समझौता था । बकाक में बरतानी प्रभाव की धाक थी, किन्तु पिछले कुछ वर्षों में जापान ने उससे होड लगादी। इस देश का व्यापार अधिकतर मलय, हागकाग . ब्रिटेन तथा जापान के साथ होता रहा है । सन् १६३६ में देश का नाम स्याम के स्थान पर थाईलैण्ड रखा गया । थाईलैण्ड शब्द देश के सरकारी नाम 'मुबाग थाई' (स्वतन्त्र जनता का देश) शब्द का अँगरेज़ी भावानुवाद है। स्याम मध्यकालीन स्वतन्त्र भारत का एक उपनिवेश था । शताब्दियों तक वहाँ आर्य-हिन्दू सभ्यता प्रचलित रही, जिसका प्रभाव वहाँ के राजवंश तथा प्रजावर्ग मे अब भी पाया जाता है । स्यामी जनता बौद्ध और ईसाई धर्मों की अनु- यायिनी है । A प्रा सी सी भी हिन्द चीन हकारी Pre- .: हिन्द-चीन देश है, जो फ़ास के नियत्रण मे था । थाई को रगड़ी लैण्ड ने १६४० मे, फ्रान्स से मॉग की कि हिन्द-चीन मे बहुसख्यक थाई जनता द्वारा बसा हुआ, मेकांग नदी के TE स्यामनी साड़ी किनारे का पकलाई प्रदेश उसको वापस कर दिया जाय । कोई सन्तोषप्रद उत्तर न मिलने पर । हिन्द WANT दक्षिणी चीन सागर थाईलैण्ड की सेना ने, २३ महा सागरी कोटामारु नवम्बर १९४० को, हिन्दचीन -- HTRA