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कारखाना खोला और इँगलेण्ड और अमरीका मे आदर्श समाजवादी संस्थाओं की स्थापना के लिये उसने बहुत-सा धन दिया। किन्तु यह सब प्रयत्न विफल हुए।

समाजवाद को १८४१ मे सबसे पहले राजनीतिक महत्ता प्राप्त हुई। फ्रान्स मे प्राउढन और लुई ब्लेक ने राष्ट्रीय उद्योग-धन्धों की स्थापना की। किन्तु कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक ऐंजल्स, दोनों जर्मन समाजवादियो, ने पूर्वोक्त दोनों का विरोध किया। मार्क्स और ऐंजल्स ने अपने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में समाजवाद की नवीन व्याख्या की और 'लीग आफ् कम्युनिस्ट्स' की स्थापना की। अपने घोषणापत्र मे इन लोगों से इस प्रणाली को अस्वीकार किया कि मानवता और नैतिकता के प्रचार से समाजवाद की स्थापना होसकती है। इन्होंने कहा कि समाजवाद का सम्बन्ध तो वर्ग-संघर्ष से है। मार्क्सवाद, जो 'वैज्ञानिक समाजवाद' कहा जाता है, के उदय के बाद 'यूटोपियन' सिद्धान्त का अन्त होगया।

उपरान्त जर्मनी समाजवाद क केन्द्र बन गया। १८८१ से १८६१ तक ब्रिटेन,फ्रांस, आस्ट्रिया और रूस सहित अनेक देशों में समाजवादी दल स्थापित हुए। १८६५ मे मार्क्स ने इन्टरनेशनल वर्कर्स एसोसियेशन की स्थापना की, बाद मे जिसका नाम 'फर्स्ट इन्टरनेशनल' पढा, और जिसके कुछ हज़ार सदस्य थे। मार्क्सवाद और अराजकतावाद (अनारकिज्म) में संघर्ष चलता रहा और १८७२ में इसका अन्त हो गया। १८८३ मे मार्क्स की मृत्यु हो गई, किन्तु ऐंजल्स १८६४ तक, जब उसकी मृत्यु हुई, इस आन्दोलन को चलाता रहा। १८८६ में इंटरनेशनल को पुनर्संगठित किया गया और संसार भर के समाजवादी दल उसमें सम्मिलित होगये। इस 'द्वितीय इंटरनेशनल' को विश्वक्रांति का केंद्र माना तो गया किंतु इसमे सुधारवादी और क्रांतिकारी दो पक्ष होगये : सुधारवादी शांतिपूर्ण आंदोलन द्वारा कमिक विकास पर ज़ोर देते थे और क्रांतिकारी हिन्सापूर्ण क्रान्ति पर।

१६१२ में अन्तर्राष्ट्रीय संघ (इन्टरनेशनल) ने युद्ध के विरोध की आवाज़ उठाई और घोषणा की कि यदि पूँजीपतियों ने युद्ध छेढा तो मज़दूर समुदाय विद्रोह करेगा। किन्तु, अजस्त १६१४ में, युद्ध छेढने पर यह कुछ नहीं हुआ। कुछ को छोडकर सन्सार के समाजवादी अन्तर्राष्ट्रीयता का त्याग कर