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रूस की क्रान्ति ३२५ सेना ने रूमानिया पर आधिपत्य कर लिया । उपरान्त नरम और गरम लौह- रक्षको में संघर्ष चल पडा और मार्च १६४१ मे लौह-रक्षक दल का अन्त कर दिया गया । होरिया सीमा तथा अन्य लौह-रक्षक नेताओ को लम्बी-लम्बी सजाये दीगई और देश मे कोई भी राजनीतिक दल या संस्था बनाना निषिद्ध ठहरा दिया गया। अन्तोनेस्कू जर्मनो के हाथ मे कठपुतली बन गया और बरतानिया ने रूमानिया से राजनीतिक-संबंध विच्छेद कर लिया । तेल, इमारती लकड़ी, गेहूँ और मक्का रूमानिया के निर्यात-व्यापार की जिन्स हैं । जर्मनी इनका सबसे बडा ख़रीदार है । तेल के कारण ही जर्मनी ने रूमानिया पर कब्जा किया है । १६३६ मे वहाँ ६० लाख टन तेल निकाला गया, जो जर्मनी के लिये काफी समझा जाता है, किंतु पिछले वर्षों से तेल की निकासी घट रही है । रूमानिया मे तेल का व्यापार करने वाली कम्पनियाँ ब्रिटिश, फ्रान्सीसी और अमरीकी रही है । यहाँ के बरतानी तेल-व्यवसाय को जुलाई १६४० से रूमानी सरकार ने ले लिया है। ____ जून १६४१ में जब जर्मनी ने रूस पर हमला किया, तो रूमानियनो ने जर्मनी का साथ दिया और बैसरेबिया और बकोविनाको पुनः अधिकृत कर I पोल रू स लिया। उन्होने यक्रेन के कछ इलाकों वाकया। 'पर भी कब्जा कर लिया और ओडेसा नगर को ले लिया। ६ दिसम्बर हरु मा. मिया १६४१ को बरतानिया ने रूमानिया के विरुद्ध युद्ध-घोषणा करदी और पिटेसी बलाम रूमानिया ने, १२ दिसम्बर १६४१ बुखारेस्तु को, संयुक्त राज्य अमरीका के यू-स्लाविया बलशा खिलाफ। रूस की क्रान्ति-सन् १९१४-१८ के महायुद्ध से पूर्व ही रूस मे ज़ारशाही के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई पडने लगे थे। न्यायालयों की व्यवस्था पाखण्डी रासपुटिन के अधीन थी । यह धूत ज़ार और उसके रनिवास का कुल-गुरु बना हुअा था। रूस की नागरिक तथा फ़ौजी शासन-व्यवस्था अस्तव्यस्त दशा 1 १ र संवरिन प्लायेस्टीHEN बासा न गर