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३२४ स्मानिया थे–मन्मिण्डल बनाने के लिये ग्रामन्त्रित किया । गोगा ने सरकार बनाई, किन्तु पार्लमेन्ट बरग्वास्त करदी गई, और तब से रुमानिया में पार्लमेन्ट नहीं बनी है । गोगा ने, नात्सी-अनुकरण में, यहूदी-विरोधी कानून बनाये। बादशाह ने अपने अधिकार पर श्रॉच श्रोते देख गोगा को, फरवरी १९३८ मे, परास्त कर दिया, खुद अधिनायक बन गया और सब दल तोड़ दिये । यहूदी-विरोधी कानूनो को अमल में तो नहीं लाया गया, किन्तु सामो-विरोधी नीति, रूमानिया मे पुरानी होने के कारण, सरकारी नीति बनी रही। १९३८ के पतझड-काल में लौह-रक्षकों ने जोर पकड़ा । बादशाह ने इस दल के नेताओं की गिरफ्तारी का हुक्म निकाला, और जिस वक्त कि यह लोग भाग रहे थे तो इन्हें गोली मार दी गई । १६३६ के मार्च में एक नया शासन-विधान बना और मोशिये कालिनेस्कु प्रधान मन्त्री बना, जिसे अक्टूबर '३६ में लौह-रक्षकों ने गोली से उड़ा दिया। १९४० के मार्च मे, जर्मनी के दबाव से, लौह-रक्षक-दल सरकार में मिला लिया गया और प्रधान मन्त्री तारतारेस्कू की सरकार ने रूमानिया को धुरी राष्ट्रो का साथी घोषित कर दिया। जुलाई १९४० मे, अल्टीमेटम देने के बाद, सोवियत रूस ने बैसरेबिया और उत्तरी दुकोविना पर अधिकार कर लिया, और धुरीराष्ट्रो के प्रभाव से हुए वीयना-समझौते के अनुसार रूमानिया को आधा ट्रान्सिलवेनिया हगरी को दे देना पड़ा, और सितम्बर १९४० में दक्षिण दबूजा बलगारिया के हक़ मे छोड़ देना पडा । रूमानिया का क्षेत्रफल, इस प्रकार, १६१४ के बराबर रह गया। ट्रान्सिलवेनिया के छोड दिये जाने से लौहरक्षकों ने अशान्ति उत्पन्न करदी। सितम्बर १९४० मे जनरल अन्तोनेस्कु प्रधान मन्त्री बना और उसका नायब बना लौह-रक्षकों का नेता होरिया सीमा । लौहरक्षक अपने को रूमानी सैन्य कहने लगे और रूमानिया फौजी-राज्य घोषित कर दिया गया । ६ सितम्बर को बादशाह कैरोल को गद्दी से उतार दिया गया और अपनी प्रेयसी के साथ वह विदेश को चला गया । माइकेल राजा बना, किन्तु शासनाधिकार प्रधान मन्त्री अन्तोनेस्कू के हाथ मे दे दिये गये । पुराने राजनीतिक नेता पकड लिये गये और उनमें से बहुतेरे लौह-रक्षको द्वारा जेलखानो मे क़त्ल कर दिये गये । ७ अक्टूबर १९४० को, रूमानी सेना को तालीम देने के बहाने जर्मन