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यूक्रेन
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आन्दोलन के सम्बन्ध में गांधीजी ने अपने १५ अक्टूबर १९४० के वक्तव्य में लिखा-“मैं प्रश्न को फिर दुहराता हूँ । स्पष्ट रूप से यह प्रश्न मर्यादित है--- युद्ध के विरुद्ध प्रचार करने का अधिकार या वर्तमान युद्ध में सहयोग के विरुद्ध प्रचार । दोनो ही ठोस अधिकार हैं। उनके प्रयोग से अगरेज़ों की कोई हानि नही होगी । अहिसात्मक काग्रेस ब्रिटेन के लिये कोई बुरी बात नही सोच सकती, और न वह अस्त्र-शस्त्र के द्वारा सहायता ही कर सकती है । क्योकि वह खुद अपनी आज़ादी भी शस्त्रों के द्वारा नही प्रत्युत् विशुद्ध अहिंसा द्वारा प्राप्त करना चाहती है ।” श्री विनोबा भावे को उन्होने अपना सबसे प्रथम सत्याग्रही चुना। इस सत्याग्रह को केवल व्यक्तिगत और सीमित रखा गया था। यूक्रेन-पहले दक्षिण रूस कहा जानेवाला प्रदेश, जहाँ स्लैव जाति के लोग रहते हैं, जिनकी भाषा भिन्न प्रकार की किन्तु रूसी भाषा से मिलतीजुलती है। ज़ारशाही के ज़माने में यूक्रेनियो को रूसियों की एक शाखा मान लिया गया और उनकी भापी रूसी की एक बोली क़रार दीगई । यूक्रेन के मदरसी और सरकारी दफ्तरों में रूसी भापा जारी कर दीगई, परिणामतः १६वीं सदी मे यूक्रेनियों में राष्ट्रीय आन्दोलन का जन्म हुआ । सन् १९१७ की सी राज्य-क्रान्ति के बाद जर्मनी तथा ग्रास्ट्रिया की सेनाशो ने यूक्रेन पर अधिकार जमा लिया और ज़ारकालीन जनरल स्कोरोपास्की की अध्यक्षता में एक नाममात्र का प्रजातत्र वहाँ स्थापित कर दिया । नवम्बर १९१८ की। विराम सधि के बाद जब जर्मन तथा आस्ट्रियन सेनाएँ वापस लौट गई, तब यूक्रेन में गृह-युद्ध होता रहा । अन्त में १९२० में यूक्रेनी सोवियत प्रजातंत्र ची स्थापना की गई। इसने सोवियत रूस में सैनिक तथा आर्थिक समझौता किया और सन् १९२३ में यह दोनों राष्ट्र, रुसी मरहद के अन्य सोवियत प्रजातन्त्रों सहित, सोवियत यूनियन में शामिल होगये । सोवियत गर ३ नमस्त प्रजातन्न राज्यों में रूस के बाद, यूरेन सबसे । त महत्वपृ ।। ३पन्न रु १,७४,००० वर्गील तथा जनग्या , १६३६ , प्रा में, ६.३०,००,००० थी । इस मदर दुकान है। इन नि । *बई : द ई । मदद, दफ्तरों और दातो में इन 4 रा र * * } इन द श ३ ः द न ।