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काफी कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब कोई इच्छुक खरीदार किसी किरायेदार के कब्जे वाली संपत्ति का अधिग्रहण करता है, तो वह जानता है कि उसे किराएदार को बेदखल करने में लम्बी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसलिए, ऐसी संपत्ति का मूल्य ऐसी ही अन्य संपत्ति के बाजार मूल्य से कम होता है जो मालिकों के कब्जे में हो। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बिक्री एक बाधित संपत्ति का था जो "जहाँ है जैसा है" के आधार पर था।


10. विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि किसी संपत्ति का बाजार मूल्य का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि कोई इच्छुक खरीदार कितना भुगतान करेगा। उन्होंने कहा कि जब एक किरायेदार के कब्जे वाली संपत्ति बेची जाती है तो उसके बाजार मूल्य का निर्धारण करते समय, अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य के निर्धारण के संबंध में इस न्यायालय के विभिन्न निर्णयों में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार किया जाना चाहिए। उन्होंने इस न्यायालय के निर्णयों का अवलंब लिया। उन्होंने इस न्यायालय द्वारा विशेष भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिकारी, सागर बनाम एम. एस. शेषगिरी राव एवं अन्य[१] और मंगत राम एवं अन्य बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य[२] के मामले में दिए गए निर्णयों का अवलंब लिया। उन्होंने कहा कि बाजार मूल्य घट जाएगा यदि संपत्ति पर किसी प्रकार का प्रभार्य है। बाजार मूल्य वास्तविक बाजार मूल्य में प्रभार्य या देनदारियों का मूल्य घटाकर प्राप्त होगा। उन्होंने ओ. एन. तलवार बनाम द कलेक्टर ऑफ स्टैम्प्स[३] के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक फैसले पर अवलंब लिया।


  1. (1968) 2 SCR 892
  2. (1996) 8 SCC 664
  3. (1971) 7 DLT 319


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