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(43) है। क्या महात्मा गान्धी के प्रथम हम में अपनी मातृ भाषा को कांग्रेस की दो पर प्रतिष्ठित करने का साहस था। क्या महात्मा गान्धो प्रथम काग्रेस देश के प्रतिनिधियों की सपी समा यो । क्या तव भी आज की माति-देश को मारमा कांग्रेस के लिये इतमो येचैम थो! क्या तव भी काप्रेस देश के प्राणों से इतनी निकट थी। महीं। यह सप कुष करने का श्रेय महात्मा गान्धी को है। मन् २१ में उस पुरुप ने अपना प्रवल असहयोग प्रारम्भ करतो बार फहाथा:- "हमारे लिये सजा की पात कि फेवल १ लाम गोरे ३१ करोड़ हम पर पूर्ण स्वेच्छाचारिता मोर राजमैटिक छलका शासन कर रहे हैं। भीर पह घोर निन्दा को पात है कि उन्हें अपमो प्रत्येक जवाओं का स्वच्छन्दता से प्रयोग करने में वेरोफ हमारा सहयोग मिल रहा है। हम सांप को तरह अपने ही भएटों को पाये जाते हैं देश यह चाहता है कि अंग्रेजों की पाशविक शक्ति नष्ट करदो जाय और यह विणा दिया माय कि.पाशविक शक्ति से भारत में प्रब एक दिन मो शासम नहीं दो सफता।" सन् २१ मै अब इस घोर पुरुप ने असहयोग प्राम्दोलन शुरु किया था-सब सत्कालीन वायसराय लाई क्षमसफोर्डमे पमएस से कहा था:-कि हम असहयोग माग्दोलन को स्थर्य 1r