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+ ( १२ ) का ममूना प्रतीत होता है। उनके देश के प्रति उत्कट भाव उनके उस भाषण से प्रकट होते हैं, जो उन्होंने राष्ट्रपति को हैसियत से राष्ट्रीय महा समा की घेदी से दिया था । हम उसे यहाँ उदधृत करते हैं। शहीदोंकी याद भाइयो। यह राष्ट्रीय काँग्रेस भारत की राष्ट्रीय स्वतन्त्रता के लिये चवालीस वर्ष से सद्योगशील है। इतने जमाने में इसने धीरे धीरे किन्तु निश्चय ही राष्ट्रीय जागृति पैदा को है और आन्दोलनको जन्म दिया है। आज हमारे भाग्यफा फैसला हानेका प्रश्न उपस्थित है इसलिये जो लोग यहाँ एकत्र हैं उम सपका भ्यान सय से पहले उन की ओर जाता है जिन्हो मे अब से पहले अपना जोषन इस लिये समाप्त किया कि जिस में जो लोग उनके पीछे हो उन्हें सफलता का आनन्द प्राप्त हो सके। हमारे कितने ही पुराने महारथी अब हमारे बीच नहीं है और हम उन्हीं के प्रयोगोंकी पहाँ बड़े होकर निन्दा करते हैं। संसार का पही फायदा है। लेकिन आपस में से कोई भी उन्हें या उनके उस काम को मुला सकता जो , ठम्हों में स्वतंत्र भारत की नींव रस्मने में किया है। हम में से कोई उन महाम्, पुरुषों और प्रेषियों को महीं मुला सकवा जिम्हों ने परिणामों की कुछ भी परयाद न करते हुए विदेशियों के प्राधिपत्य के प्रति- 1 ,