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. से -युद्ध करना पडेगा और चूंकि इस युसु 'फा नेतृत्व महात्मा गान्धी के हाथ में रहेगा इस लिये यह निश्चय है फि देश को अपने युद्ध की नीति पूर्ण अहिंसात्मक बनाई रखनो पड़ेगी क्योंकि अहिंसा महात्मा जी का सर्बोपरि शस्त्र है और सारे संसार मे इसी के कारण उन्हे महत्व का पद दिया है। परन्तु यिटिमा सत्ता को खुली आज़ादो है कि वह अपनी मर्यादा को रक्षा के लिये अपने तमाम सामरिक वल और नैतिक छलों का सपयोग करें-और यदि महात्मा गान्धी का समस्त भारतीय युवक दिल को लेकर अग्रसर होना अनिवार्य है तो प्रिटेन सत्ता का अपमी मर्यादा की रक्षा के लिये, अपने समस्त पल का उपयोग करता मा अनिवार्य है, और इसी लिये सन् ३० में भारत को जलती हुई भट्टी में तपना पड़ेगा इस में जरा भी सम्देहनहीं।