पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४५

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अध्याय १ ला] १३ ॰[स्वधर्म अौर स्वराज्य


अौर ही किन्तु महत्वपूर्ण रूरत्र लिया। धार्मिक पागलपन की घुन मे सने और काल्पनिक अन्यायो का बदला लेनेके विचार से उत्तेजित समूचे राष्ट्र का वह व्देषसे लडा हुुआ युध्द बन बैठा।

   सिपाहियोके युध्द के संपूर्ण इतिहासमे व्हाइट लिखता है " अवधके                           लोगोने जो हिम्मत दिखाई उसका गौरत्रपूर्ण उल्लेख मै यादि न करूॅ तो                      इतिहासकारके सन्यप्रतिपादनके क्रर्तव्यका पालन न करने की भूल कर                             बैठूगा। नैतिक घृष्टिसे, अवध के तालुकदारोंने खूनी विद्रोहियोका साथ                               देनेेमें बडी भारी भूल की थी। इस बातको छोङकर देखा जाय तो अपनी                         मातृभूमि तथा अपने राजाके लिए एक शुध्द अादर्शसे प्रेग्ति हो कर                            लडनेवालो की गिनती महान् देशभक्तोमे करना अावश्यक है!"                                                   भिडियन म्बूटिनी,वाल्यूम १ प्ट ६४४