पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४४७

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अध्याय ८ वॉ] ४०५ [कुंवरसिंह और अमरसिंह अिस समय गवर्नर जनरले कॅनिंग मिलाहाबाद में था। कुंवरसिंह की क्षमता, धैर्य तथा युद्ध की कार्यवाही में समय का महत्त्व जानना, कि बात से कॅनिंग अच्छी तरह जानकार था, जिस से आगामी संकट की आहट । असने पहचानी १४ आजमगढ में अभी अभी गोरी सेना को अस ने बंद कर रखा, थकित करनेवाली फुर्ती से ८१ मीलों का अंतर तय कर, अिलाहाबाद और कलकत्ते का सबध तोड ने के लिओ कुंवरसिंहने बनारसपर हमला किया था। जिसी समय लखन के भगोडे क्रांतिकारी भी वहाँ अससे मिले । धीरज खोये परेशान अनुयायियों को फिरसे अत्साहित कर, अन्हें फिरसे अनुशासित संगठन में पिरोने की कुँवरसिंह की अद्भुत क्षमता को कनिंग पूरी तरह पहचानता था। क्रांति के पूर्वार्ध में कलकत्ते के आसपास के प्रदेश में क्रांति के फैलने के पहले ही असे कुचल दिया गया, अिस का अकमेव कारण था, सिक्खों के बलपर बनारस और अिलाहाबादपर अंग्रेज़ों का दृढ कब्जा रखना। अस गॅवाये मौके , को फिरसे हथियाने के लिये बनारस और अिलाहाबाद पर कुंवरसिइने आक्रमण किया । तब कॅनिंगने असके मुकाबले के लिओ लॉर्ड मार्क कर को आज्ञा दी। । क्रीमिया के युद्ध में प्रसिद्ध तथा भारतीय यौद्धिक तंत्रसे परिचित महान् योद्धा लॉर्ड कर, पांच सौ सैनिक तथा आठ तोपें लेकर आजमगढसे ८ मिलोंपर आ खडा हुआ। दिनांक ६ अप्रैल को सबेरे ६ बजे असने चढाी का महरत किया। असे पत्ता लगा कि असकी गतिविधिपर कुंवरसिंह के लोगों की नजर है। किन्तु यह बात न जानने का बहाना कर असने अपनी सेना को 'होशियार' का हुक्म दिया; और कुंवरसिंह के बायें पासेपर हमला किया। असके सैनिकोंने भी' डटकर मुकाबला किया। अस घमासान युद्ध में अपने प्यारे सफेद घोडेपर सवार वह बूढा 'कुमार' दिख पड़ा। शत्रुको डरा देने की अपने सैनिकों की संख्या असीम बताने के लिअ नौकरों को भी असने भरती कर x मॅलेसन कृत अिंडियन म्यूटिनी खण्ड ४, पृ. ३२१.