पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३५५

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अध्याय ३ रा ३११ [बिहार तलवार के बूतेपर अंग्रेजोंने जैसे अक्षम्य, निर्दय तथा अन्याय्य ढंग से सारे भारत तथा स्वराज का सत्यानाश किया था अस तलवार के टुकडे टुकडे कर देने की प्रतिज्ञा कुँवरसिंहने की थी। और तुरन्त असने नानासाहब से सहयोग शुरू किया। __ अको अक भीषण रणगीत के सुर सुनायी देने लगे। कुंवरसिह काति की योजना बना रहा है, असने भारतभर के क्रांतिसस्थाओं से संबंध स्थापित किया है और पटना के सैकडों सिपाही गुप्तरूप से अस के वश में हैं, जिस मतलब के कभी समाचार बहुत दिनों से कमिशनर टेलर के कानों में पड़ रहे थे। किन्तु ८० साल का यह बूढा पलंगपर पड़े शान्तिसे मृत्यु की राह ' देखने के बदले समरांगण में कूदने के लिये बेचैन है, यह बात असे सत्य और सम्भव न लगती थी। और कुंवरसिह से 'राजभाक्त' के पत्र अबतक जो आया करते थे ! फिर भी अंग्रेजों की हमेशा की अदारतासे टेलरने. वह अपवाद-नथा कुंवरसिंहको लिखा, 'अब आप बहुत वृद्ध हो गये है और आपका स्वास्थ्य भी जितना अच्छा नहीं है । आपकी शेष आयुके काल में आप के सहवास में रहने की मुझे कुरेद पड गयी है । सो, आप, कृपया, यहाँ आकर मेरी सेवा को स्वीकार कर सम्मानित करेंगे तो आप के बडे अपकार होंगे। मेरे अिस निमत्रण को न टाला जाय, असी आशा करने वाला भनदीय-टेलर " | किसी समय अफजलखाने अिसी तरह का निमंत्रण शिवाजी के पास भेजा था। जगदीशपुर के चतुर राजपूतने भी असका मन्तव्य जान लिया कि, अितने मेस और आदर के साथ दिया निमंत्रण, चुपचाप बदिशाला में ढूंस देने का दूसरा नाम है। असने अत्तर लिखा, ' श्रीमान् जी, मै अत्यंत आभारी हूँ। आपने ठीक ही लिखा है कि मेरा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, जिस से। मैं पटने, शायद, नहीं आ सफ़ेगा । मेरे स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो जाते ही मै तुरन्त आप की सेवा में अपस्थित हूँगा' । कुँवरसिंहजी ! सचमुच, तुम्हारा मनःस्वास्थ्य तथा शरीरस्वास्थ्य, ठीक नहीं है ! और हॉ, फिरंगी का कुछ खून बहा कर कुछ स्वास्थ्य