पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२६

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किन्तु श्री. नानाराव गोखले की सृजन-शक्ति के फलस्वरूप हर अध्याय पर हम चित्र दे सके हैं, जिस के लिओ हम अत्यंत ऋणी है। श्री. विनायकरावजी परांजपे तथा बंधु ने तो हर तरह से सहायता की है; किन शब्दों में हम अन्हें धन्यवाद दें?

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हमारा आगामी प्रकाशन

महाराष्ट्र के माननीय नेता, सब्यसाची संपादक श्री. शि. ल. करंदीकर से लिखित ' सावरकर चरित्र, [अर्थात भारतीय क्रांति के आंदोलन का लगभग ५० वर्षों का मामाणिक इतिहास] हम प्रकाशित कर रहे हैं। इस की भाषा भी श्री. ग. र, वैशंपायननी की लिखी हुयी है। मूल ग्रथ मराठी में १९४३ में प्रकाशित हुआ था, जो तुरन्त जब्त भी हुआ था। जिस ग्रंथ को बम्बमी • विद्यापीठ ने सर्वोत्तम ग्रंथ के नाते स. १९४३ का पारितोषिक दिया था। इस की विशेषता यह है, कि श्री. सावरकरजी की कविता का अनुवाद कविता ही में दिया है। डिमायी आकार के लगभग ६०० पृष्ठ होंगे। मार्च १९४८ के अन्त तक प्रकाशित हो जायगा। आशा है, हिन्दी संसार उस का समादर करेगा।

६९३ बुधवार पेठ) पुणे २

वि. श्री. जोगलेकर. व्यवस्थापक, निर्मल साहित्य प्रकाशन.

चित्रसूची

१ श्रीमती रानी लक्ष्मीबाई (तिरंगा) आवरणपर। ७ रूसी चित्रकार का १८५७ में बनाया चित्र २ श्री. सावरकरजी (लंदन में १९०८) ८ श्रीमंत नानासाहब पेशवा (तिरंगा) ९ वीर सावरकाजी (६४ वर्ष की आयु में) ३ श्री. ग. र.वैशंपायनजी अनुवादक ४ सम्राट बहादुरशाह १० शाहजादा जवानबख्त (दिल्ली) ५ सम्राज्ञी जीनतमहल ११ अवध का युवराज ६ दो क्रांति नेता १२ श्री कुँवरसिंहजी (तिरंगा)। १३ सेनापति तात्या टोपे (तिरंगा)