पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२०२

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HAS % - - THI - अध्याय ६ वॉ रुहेलखण्ड बरेली रहेलखण्डकी राजधानी थी । अंग्रेजोंने यह प्रात उसके पुराने गासकों-रुहेले पठानों-से हडप लिया था। इस प्रातमें शूर, बलवान और आनपर जान देनेवाले मुसलमानोंकी वस्ती थी। ये सब अपने अपमानका बदला लेनेके अवसरकी ताक ही में थे। स. १८५७ के लगभग जिन स्थानोंसे अंग्रेजी भासनके विरुद्ध राजनैतिक क्रातिका प्रचार जोरोंसे किया जाता था उनमें रुहेलखंड और खासकर उसकी राजधानीका महत्त्वपूर्ण स्थान था। इस समय बरेलीमे ८ वॉ अनियमित (इरेग्युलर) रिसाला, पैटल सेनाका १८ वॉ तथा ६८ वॉ विभाग और हिंदी तोपखानेकी एक टुकडी छावनीमे थी। इनका नेतृत्व ब्रिगेडियर सिन्त्राल्ड कर रहा था। अप्रैलमें कुछ सैनिकोंने काडतूसोंके बारेमें अपना सदेह प्रकट किया था, किन्तु सरकारने इसपर ध्यान न देकर सबको उन्हे बरतनेको मजबूर किया था। वीचमें एक दो बार खलबली मची और सैनिक भी उत्तेजितसे होने लगे, फिर भी आगामी संकटको वहाँके अफसर मॉप न सके। मेरठ के बलवेकी खबर १४ मई को बरेली पहुंची। तब अंग्रेजोने अपने परिवारोंको नैनिताल भेजकर रिसाले को होशियार रहनेकी आज्ञा दी। यद्यपि रिसालेके सैनिक हिंदी थे, तो भी अंग्रेजोंको उनपर पूरा भरोसा था। रिसालेके साथ सभी सैनिकोंको १५ मई को सचलन के लिए बुलाया गया। सचलनके समय वहॉके अंग्रेज मुख्याधिकारीने 'राजनिष्ठा तथा अच्छे बरताव' पर एक लम्बाचौडा भाषण दिया। उसने कहा, 'आजसे