पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/१८५

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अध्याय ४ था] १४९ [विष्कम तथा पजाब काण्ड मी अक्षर न लिखनाही अच्छा रहेगा।" क्या खूब ! इसे कहते हैं इतिहासकार! जिन चाडालोने दिल्ली के मार्गपर मिलनेवाले हर देहातीके मुंहमें बलपूर्वक गोमॉस ट्रेसा,उन्होंने इस ५५वी पलटनके सिपाहियोंको तोपोंसे उडा देनेके पहले उनके मुंहमें बलपूर्वक गोमॉस लूंसकर उन्हें 'भ्रष्ट न किया हो, इसका हमारे पास क्या प्रमाण है ? पेगावरकी ओर जब ये कर और अमानुप घटनाएं हो रही थीं तत्र इधर जालदरमे कातिकी ज्वाला भडक उठी थी। जॉन लॉरेन्सने पजाबके आम सिपाहियोंको निःशस्त्र करनेका क्रम जारी किया था। फिलौर और जालदरमं अबतक यह काम हो जाना चाहिये था, किन्तु वहाँके सैनिकोंका सराहनीय सयम तथा सगठनक्षमताके कारणही यह मकट दूर रहा था। जलदर दोआबके इन सिपाहियोंने अपने अन्य पजावी भाइयोंके समान बलवेकी सिद्धता कर रखी थी। दिल्लीकी चढाईमें बदी बने एक देशभक्त हविलदारके कथन तथा अन्य सरकारी खतपत्रोसे स्पष्ट होता है कि 'जालढर दोआवमे एकही क्षण सार्वत्रिक बलवा कर देने की सिद्धता हो चुकी थी। योजना यह थी, जब जालंदरसे एक दल होशियारपुर मेजा जायगा तब ३१ वी पैटल पलटण बलवाकर फिलौरकी ओर जाय; इसके वहाँ पहुँचते ही फिलौरकी ३री पलटन विद्रोह करे और दोनों मिलकर दिल्ली चल पडें । अन्य स्थानों में भी यही तरीका निश्चित था। किन्तु दुर्भाग्यवश मत्रको पहले सूचना मिल जाती। हॉ, फिलौरवाली पलटनने अन्ततक अनोखी गुप्तता रखी थी। दिल्लीके घेरेवाली कपनी तथा उसकी सामग्रीकी धजिया उडा देना फिलौरवालोंके लिए आसान था। किन्तु सर्वसम्मत कार्यक्रममें किसीतरह बाधा पैदा न हो इस लिए योग्य का राह देखते हए अन्ततक यह पलटन चुप रही। निदान सर्व मावत निश्चित ९ जून का दिन आते ही जलंदर क्वीन्स रेजिमंटके प्रमुख कर्नलका बगला जला दिया गया। इस इशारेसे जालदरके सिपाहियाने आधी रातको वलवे की तरही बनायी। ऐसे तो उस समय कुछ गोरी पलटनें और तोप तैयार थीं. किन्तु इस आकस्मिक और सर्वसम्मत सावत्रिक बलवेने तथा सैनिकोंकी भीषण घोषणाओंने अंग्रेजोंके होश उड 14 | अग्रेज पुरुष, स्त्री, बच्चा सुरक्षित स्थानमें पहुंचनेके लिए भागा।