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ज्वालामुखी] [प्रथम खड ___ किन्तु इससे प्रचार कार्य पूरा न हुआ। स्त्रियांमे इसका प्रचार करने के लिए बंदु, बहुरूपिये, जिप्सी जादुगर तथा ज्योतिषी आदि लोगो की त्रियोको यह काम सौपा गया । जिप्सी ज्योतिषी स्त्रियों यह भविष्य कथन करतीं कि अब ग्रहो का एला जोर हुआ है, जिससे फिरगियो का राज्य अब निश्चित नष्ट होनेवाला है। बहुरूपिया विदेशी शासन के वृणित गज्यवत्र का दर्शन कराते थे। वे स्त्रियाँ बताती कि माताको पीडा देनेवाले पिशाच को आइने तथा पराश्रीनता की डायन को जलाने का एकमात्र उपाय विप्लव है। अंग्रेजी शासन का द्वेप स्त्रियोमे किम सीमा को पहुँच पाया था और अग्रेजी हुकमत का सत्यानाग देखने लिए वे कितनी आतर थर्थी इसका वर्णन आगे आयगा । थोडेम, तीर्थक्षेत्र, मठ, मदिर, सिपाही, सनिक, नागरिक, आम जनता, नाटक मण्डली, महिला एव पुरुष-सभीम फ्रांतियुद्धका प्रचार किया जाता था। हर स्थानमें, पारतत्र्यसे वृणा और स्वराज्यके लिए बैचनी दीख पड़ती थी। " मेरा धर्म मर रहा है, मेरा टेग मुद्रा हालतम है. मेरे स्वदेश अत्रुओंको कुत्तम भी बदतर जीवन जीना पड रहा है" एसे ही डरावने भावोंसे हरएक हृदय जल रहा था। हाँ, साथ साथ यह भी दुर्दम्य आकांक्षा पैदा हुई थी कि अपने देशका हार हो, हमारे देग-निवासी मानवको गोमा देनेवाला वीरोके योग्य जीवन प्राप्त करें। साथ स्वाधीनताकी प्राप्तिके लिए अपने (तथा गत्रुके) खूनकी नहरे बहानेका मामूली मूल्य देनेको भी राजा थे। स्वाधीनताकी नीव लालसा अंतःकरणम प्रेरित करने और उसकी प्राप्तिके लिए कटिबद्ध होनेको जनताको सिद्ध करना हो तो कवितासे बढकर जोरदार साधन दूसरा नहीं हो सकता। साधारण लोगोंके अतःकरणम एकाध महान विचार बस गया हो तब भी गन्दोंद्वारा उसकी व्याख्या करना प्रायः असम्भवसः होता है। किन्तु कविही इम विचारको सबसे अधिक तीव्रतासे अपनी प्रतिभाम उसका अनुभव करता है और फिर उस ऐसी मनोहर वाडमय-देश देता है कि, वह विचार लोगोंके अंतःकरण की तह तक घुस जाता है, और जनता पहलेसे भी अधिक उस महान् विचार के भक्त बन जाती है । इसारे