पृष्ठ:हृदय की परख.djvu/१४७

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सत्रहवाँ परिच्छेद में भयंकरता छा रही है। बाल खुलकर बेतरतीबी से बिग्वर रहे है । शारदा देखती रह गई । उसके मुख से एकदम निकल पड़ा-"यह क्या !"