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परिच्छेद)
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आदर्शरमणी।


किसी समय में वह फ़कीर अच्छी दशा में था, पर उसकी बीबी को सिराजुद्दौला ने बलपूर्वक छीनकर अपने महल में दाख़िल किया था और उसके नाक कान कटवा डाले थे। तभी से वह बेचारा संसार से निरास हो, फ़कीर होगया था और आज मौका पाकर बदला लेने के लिये उसने सिराजुद्दौला का हाल राजमहल के हाकिम करीमख़ां पर प्रगट कर दिया था।

करीमखां मीरजाफ़रखां का भाई था, सो उसने सिराजुद्दौला को पकड़, कैद करके मुर्शिदाबाद अपने भाई मीरजाफ़रखां के पास भेज दिया और उनकी दो बेगमें, जो उसके साथ थीं, उन्हें अपने महल में दाखिल किया।

यद्यपि सिराजुद्दौला की महा हीनदशा पर मीरजाफ़र को कुछ दया आई भी, पर उसका बेटा मीरन सिराजुद्दौला से बहुत ही चिढ़ाहुआ था, इसलिये उसने अपने बाप से पूछे बिना ही अपने हाथ से उसे काट डाला। उस समय उस (सिराजुद्दौला) की उमर बीस बरस से भी कुछ कम ही थी!

एक समय किसी बात पर चटककर सिराजुद्दौला ने मीरन को विष दिलवाया था, पर आयु शेष रहने से वह बचगया था; उसी बात का बदला उसने आज सिराजुद्दौला को अपने हाथ से कतल करके लेलिया था।

सिराजुद्दौला की सैकड़ों बेगमें थीं, पर उसके मारेजाने पर उन बेचारियों की क्या दशा हुई, इसका लिखना हम उचित नहीं समझते, किन्तु हां! संतीत्वनाशकारी दुराचारी व्यक्ति की स्त्रियां प्रायः अन्त में जैसी आपत्ति को भोगती हैं, कदाचित उन सभोंको भी उसी आपदा का सामना करना पड़ा होगा!!!

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