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बेहयाई का बोरका



काठियावाड़ को तहस-नहस करके कमला को पकड़ लाओ।"

पाठकों को समझना चाहिए कि बेचारे विशालदेव ने न तो बादशाही फ़ौज को अपने इलाके में ठहरने ही को मना किया था और न रसद देने में ही कोई हीला पेश किया था। असल बात यह थी कि कमलादेवी के रूप का बखान सुनकर दुष्ट फ़तहख़ां ने यह झूठा प्रपंच रचकर बादशाह को बहकाया था, जिसमें देवगढ़ नहीं, तो यहीं मनमानी लूट-खसोट-कर वह अपनी थैली भरे और बादशाह को अपनी मुर्खरूई दिखलाकर कोई बड़ा वहदा हासिल करे।

चौथा परिच्छेद।

धमकी।

"सम्पदो महतामेव महतामेव चापदः।
वर्द्धते क्षीयते चन्द्रो न च तारागणः क्वचित्॥"

(पञ्चतन्त्रे)

काठियावाड़, अर्थात् काठियों का देश, जो गुजरात के प्रायद्वीप का मध्य भाग है, बिलकुल जंगल-पहाड़ों से भरा हुआ है; पर पहाड़ प्रायः नीचे हैं और धरती रेतीली तथा कम उपजाऊ है।