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बेहयाई का बोरका



संयोग से राजा विशालदेव शिकार खेलता हुआ वहां जा निकला था और उस औरत की जान बचा और समझा-बुझा-कर मय उसकी लड़की के उसे अपने राजमहल में लेआया था।

महल में आकर राजा ने कमलादेवी से उस आफ़त की मारी औरत की सारी बिपता कह सुनाई, जिसे सुन कमला का जी भर आया और उसने उस औरत को अपने पास रक्खा। उस औरत का पहिला नाम दिलाराम और उसकी लड़की का गौहर था, पर कमला ने उसका नाम हीरा और उसकी लड़की का लालन रक्खा था। कुछ दिनों के बाद कमला ने हीरा को बहुत कुछ समझाया कि 'वह अपने घर चली जाय' पर वह कमला की सरन छोड़ कहीं जाना नहीं चाहती थी इसलिये वह कमला की प्यारी सखी बनकर रहने लगी थी और कमला भी उसे मुसलमानी औरत जान, उससे घृणा नहीं करती और प्यारी सहेली की भांति उसके साथ बर्ताव करती थी।

जितनी बड़ी हीरा की लड़की लालन थी, उतनीही बड़ी कमलादेवी की कन्या देवलदेवी भी थी; इसलिये दोनो साथही साथ खेलतीं, पढ़तीं, लिखतीं और राजभवन में रहती थीं। रानी कमला-