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बेहयाई ‌‌‌‌का बोरका



होजाओ। तीन दिन तक तुम्हारे जवाब का आसरा हम देखेंगे, बाद इसके शहर के अन्दर घुस आवेंगे और बड़ोदे की एक-एक ईंट बर्बाद करके कमलादेवी को जीती पकड़ लेजायंगे।"

पांचवां परिच्छेद।

दृढ़ता।

"कुसुमस्तवकस्येव द्वयो वृत्तिर्मनस्विनाम्।
मूर्ध्न्दि वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा॥"

(नीतिशतके)

इसीसे आज सारे शहर में कोहराम मचा हुआ है, शहर के सभी औरत-मर्द अपने जान-माल, इज्ज़त-आबरू और अपने-पराये का ख़याल करके रो-कलप रहे हैं। राजा विशालदेव के रनिवास में हाहाकार मचा हुआ है और ख़ुद राजा बादशाही फ़ौज से मुक़ाबला करने की ताकत न देख बदहवास होरहा है। शहर के सभी छोटे-बड़े राजसभा में आ-आ-कर अपने बचाव के लिये रोरहे हैं, राजा सभीको ढाढ़स देता और समझा-बुझा-कर बिदा कर रहा है, पर वह हैरान है, उसके मंत्री भी परेशान हैं कि यह आफ़त, यह बला, और यह मलकुलमौत का रिसाला क्योंकर यहांसे टाला जाय!!!