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हीराबाई



स्त्रियां वहांकी बड़ी सुन्दरी और लंबे क़द की होती हैं। वहांवाले अपने काठी होने का कारण यह बतलाते हैं कि “जब पांचो पांडव दुर्योधन से जुए में हारकर बारह बरस के लिये वहां आकर छिपे, तो उन्हें ढूंढ निकालने का दुर्योधन ने यह ढंग निकाला कि,-"वहांकी गौवें हरी जायं तो पांडव क्षत्री होकर चुप न रहेंगे और गौवों के छुड़ाने के लिए आकर ज़रूर प्रगट हो जायंगे।" पर किसी क्षत्री ने जब गौ चुराना मंजूर न किया तो कर्ण ने अपनी काठ की छड़ी धरती में पटकी, जिससे एक क्षत्री पैदा हुआ; इसलिये उसका या उसके वंशवालों का नाम काठी [काष्ठी] पड़ा। उस वंश के लोग कर्ण के पिता सूर्य को अबतक मानते, पूजते और अपने काग़ज़ों पर उस [सूर्य] की छाप देते हैं।

निदान, अ़लाउद्दीन की फ़ौज ने काठियावाड़ की राजधानी बड़ोदे के शहर को, जो विश्वामित्र नदी के बाएं किनारे पर, शहरपनाह के अन्दर बसा है, घेर लिया और वहांके राजा विशालदेव से सिपहसालार फ़तहख़ां ने यह कहला भेजा कि,-“या तो अपनी रानी कमलादेवी को फ़ौरन बादशाह की नज़र करो, या लड़ने के लिये तैयार