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लोग यह रीति जान गये थे पर भारत में इसका प्रचार उस समय बन्दूक को पथरकला कहते थे और फलौते से दागी जाती थी। बाबर के पास बहुत सी तोप और बन्दूकची थी।

५. लोदी ने सुना कि बाबर आ रहा है तो उसका  सामना करने दिल्ली से धीरे धीरे चला। उसके साथ एक लाख आदमियों की बड़ी सेना और १०० हाथी थे

पर तोपे न थी । बाबर ने लिखा है कि लोदी को लड़ाई का कौशल आता था और लालच के मारे सिपाहियों का बेदन र देता था। उसको रुपये की कमी न थी क्योंकि उसके पास उससे पहिले के पठान बादशाहों का जोड़ा रुपया पड़ा था।

६--२१ अप्रैल १५२६ के सबेरे सरगियों ने बाबर हो कहा

कि पठान सेना सजी सजाई चली आ रही है। बाबर लिखता है “सबेरे का तड़का, हम लोगों ने अपने अपने कवच पहिने, हथियार बांधे और घोड़ों पर सवार हुए।" दो तीन दिन पहिले बाबर ने अपने सिपाही ठिकाने से बैठा दिये थे और सव को उनका काम बता दिया था।

७--सामने के पृष्ठ पर पानीपत की रणभूमि का चित्र

दिया हुआ है। इस से जान लोगे कि बाबर की सेना का कौनसा खण्ड कहाँ खड़ा था और उसने क्या काम किया इब्रहिम लोदी की सेना की चाल हम नहीं बता सकते।