राजाओं और पंजाब के पठान हाकिम ने बाबर को लिख भेजा कि आप आयें और इब्राहीम लोदी को परास्त करने में हमारी सहायता करें ।
२.--बार पहिले ही से हिन्दुस्थान्त के हरे भरे मैदानों को
देख कर ललच रहा था। वह तीन बार पंजाब में उतर चुका था औरउसने देख लिया था कि हिन्दुस्थान के पठान कैसे हैं और कैसे लड़ते हैं। उसने जान लिया था कि यहाँ के पठानों में न उनके पुरखो का सा बल पौरुष है और न उनका सा उत्साह ही है। हिन्दुस्थान के परम देश में सैकड़ों बरस रहने से पाठान निर्बल हो गये थे और वह मध्य एशिया के ठण्डे देश में रहनेवाले तुकों का सामना करने में समर्थ न थे!
३-बाबर के पास राजपूत राजा और पठान सरदारों
को चिट्ठियाँ पहुँची तो वह समझ गया कि हिन्दुस्थान विजय करने का समय आ गया। वह सन् १५२७ ई० लगते ही १३,००० सिपाही साथ लेकर भारत के मैदान में निःशङ्क उतर आया। बाबर ने अपना जीवन चरित आप लिखा है उस से सारा व्यौरा जाना जाता है।
४-- इस समय तक भारत में बन्दूके काम में लाई न गई
थी। सिपाही धनुषों से तीर मारते थे या छोटे बरछे फेंकते थे। थोड़े ही दिन पहिले यूरोपवालों ने तोप और बारूद बनाने की रीति निकाली थी। ईरान और अफगानिस्तान के