पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/४८

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तक सब की दावत की और हिन्दुस्ताल से जो होरा मोनी रेशम कमवाय सोना चांदी लूट कर ले गया था चौकियों एर सज कर सब को दिखाया। सरदारों और अमीरों का तो कहना ही क्या है उनको बड़े दाम की चीजें भेंट दी गई, पर गरीब अफ़गान भी कोई ऐलान था जो उस दावत से खाली हाथ गया हो और जिसने अच्छी भेंट नपाई हो। ७-इस रीति से महमूद भारत में सत्रह बार अपने पठानों को लाया। हर चढ़ाई में उसका उत्साह बढ़ता जाता था और वह दूर दूर का धावा मारता था। सब से पिछली बार यह दक्षिण में गुजरात देश को चला गया। यहाँ एक बहुत पुराना मन्दिर था जो अपने असंख्य धन के लिये हिन्दुस्तान में प्रसिद्ध था। इस में १० हाथ ऊँची सोमनाथ की मूर्ति की मूर्ति थी। पुजारी समझते थे कि इस दूर देश में हम को कौन छेड़ सकता है। रेतीले देश में साढ़े तीन सौ मील की यात्रा करके महमूद इस मन्दिर पर चढ़ दौड़ा और हिन्दुओं की एक बड़ी सेना को जो इस मन्दिर के बचाने के लिये आई थी मार कर मा दिया। ८-इसके पीछे महमूद मन्दिर में घुसा तो पूजारियों ने डरते कापने यह बिनती की कि आप हमारे देवता की मूर्ति को छोड़ दें तो हम आप को बहुतसा धन दें। महमूद ने न माना और बोला, "मैं मूर्ति तोड़ने आया है भूर्ति