पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२४७

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। ३-हला काम जो उस ने किया वह रास्तों और सड़कों पर की रक्षा थो। विना सिपाही साथ लिये कोई राह नहीं चल सकता था। देश में डकैत गौर उग फैले हाक रास्ते में लूटते और उग बटोहियों का गला घोंट मार डालते थे और उनका माल असबाब ले जाते थे। बहुत से लोग जो परवेश करने आते थे और फिर कर नहीं आते थे कारण यह था कि ठग और डाकू उन को लूट कर जान से मार डालते थे और उनके बाल बच्चे उन को फिर न देखते थे। ४-डाकू साधारण यात्रियों के भेष में तीस चालीस चालीस' की टोलियों में फिरा करते थे ; धनी लोगों के घरों का पता लगा कर गत को मशाल लेकर उनपर डाका डालते थे; उन का धन लूट लेते थे, और उन को नाना प्रकार के दुख देते थे, और कभी कभी उन को मार भी डालते थे। ५-ठग डकैतों से मो नितुर और भयंकर थे। डकेत तो पहले धन मांगते थे और धन न पाते थे तो मार डालते थे पर ठग तो सदा प्राण ही लेते थे! उग काली को पूजते थे और यहासमकते थे कि काली जीध मारने से प्रसन्न होती यह वही देवी थी जिसे वित्तौर के राजपूत राजा भीमसी ने सपने में देखा था। यह इस दस बारह बारह की टोलियाँ बना कर निकलते थे। यह भी शान्त भले मानस वालों का भेष बनाते थे। रास्ते में कोई यात्री है।