पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२४

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वीर योद्धा थे और उनकी यह इच्छाशी कि यह पाजकुमार भी जो इनका एकलौता बेटा था उन्ही की नाति योद्धा हो । इससे सार को तीर चलाना, घरछे और तलवार का का सिखाया गया। गौतम बड़े शुन्दर थे और उनके पिता और उनके कुल के लोग उनको बहुत मानते थे। उनका विवाह एक परम सुन्दी दाज- कन्या के साथ हुआ था और इनसे एक लड़का भी था। २-- उनका नाम गौतम था और उनको सिद्धार्थ भी कहते हैं। वे बचपन ही में बहुत सांचा करते थे। उनकी बोली बहुत ही मोठी थी। उनका चित्त गौतम। बड़ा कोमल था और 2 बड़े दयालु थे। कभी अहेर को जाते और देखते कि निरापराध हरिण खेत में कर रहा है तो, चढ़ी कमान उतार लेते थे थे अपने मन में कहते "मैं इन बेचारे जीवों को यमों मारू? और बान को तरकस में रख कर लौट आते। धुड़दौड़ में घोड़े को हांफता देखकर ठहर जाते और कहते थे कि खेल में हमारे हार जाने से क्या बिगड़ेगा। घोड़े को क्यों दुख दिया जाय।" ३-एक दिम वसन्त ऋतु में उनके पिता ने उनसे कहा ।