पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२२५

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लिस्तान की मिवो कौसिल का सभासद बनाया गया और एक धार जब उससे पार्लियामेएल में जाना पड़ा था तो उसके सीसर आते ही लाद समा और स्वासमा के सारे मेश्वर उसका आदर करने के लिये बड़े हो गये और चपनी अपनी टोपियाँ उतार ली। ६.--सन् १९८९ ई० में जल्द काम छोड़ कर छला गया था अंग्रेजी भारत का कोई नया जरूशा नहीं बना, बसका या कारण है? कारण यह है कि सन् १७६५ ई० से जन्दावाद को सन्धि सुई ची नकशा बदला नहीं था। हाश्व की भांति धारेन हेस्टिङ्गम् ने कोई नया देश नहीं जीता पर जो देश काश्य ने जीते थे उसमें उस से अच्छा प्रचा किया। उसके समय में ईस्ट इण्डिया कम्पनी बङ्गाल का पूरा शासनकर्ता थी। सिपाही से प्रैसूर का सुलतान ! १- सूर का पठार भरताड के दक्षिण में है। उसके पूर्व और पश्चिम दोनों घाट हैं और इसके दक्षिण में मील गिरि की पहाड़ी हैं। पर्चा बनाया जाति के लोग रहते हैं और आज कल जो इन का राजा है वह अजीजों का पक्षा मित्र हैं। दो मुगलमा शानशाकों ने इस पर राज किया। पहले का नाम हैदर अली था और दूसरे का टीपू सुलतान ।