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          ४३-कलकत्ते की काल कोठरी।
       बङ्गाल के नवाज की अङ्करेजों पर चढ़ाई।
१-अरकाट के प्रसिद्ध धेरै के कुछ ही समय पीछे बङ्गाल में

जो अब भी नाम मात्र को मुगल राज का एक भाव कहलाता था एक नव युवक शाहजादा सिराजुदौला तख़त पर शर सिराजुद्दौला का अथ हिन्दी में राज का दीपक है। वह नवाब कहलाता था। वह पचीस बरस का था। उस का पालन पोषण बहुत बुरी तरह हुआ था और जो कुछ मांगता सिराजुदौला। था उसकी माँ उस को देती थी वह निबल ; क्रूर, सूखे और हठी था और अपने महल के बाहर की कोई बात न जानता था। उस ने कभी सुना था कि कलकत्ता एक धनी शहर है। इस कारण उस की इच्छा हुई कि वहाँ लूट मार करे

२-सिंहासन पर बैठते ही उस ने अङ्रेजों को आज्ञा दी

कि अपने किले की दीवार ढाह दो, जब उन्हों ने न माना तो उस ने पचास हजार आदमी लेकर कलकत्ते पर चढ़ाई कर दी। कलकत्ते में केवल १७० अङ्गुरेज़ सिपाही थे और उनके यहाँ कोई