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बरसाना बन्द करा दिया और सिखाये सिपाहियों को लेकर
सङ्गीने खढ़ा चढ़ाकर रुहेलों पर टूट पड़ा । रुहेला सरदार
रहमत खाँ और उस के आधे आदमी मारे गये। बहुत से
महरठे भी कटे और उन का सेनापति इब्राहीम गाडी घायल
हो गया।
१०--उधर भाऊ और विश्वासराव ने महरठा सवारों को
दौड़ा कर अफगानी मध्य भाग पर धावा मारा। नकशे में जो तीर दिखाये गये हैं उसे हार गये थे। महरठे जम्बूरों से लदे हुए ऊँटों की कतार चीरते हुए पहुंचे ईरानी कन्दूकचियों को भगा दिया और बली खाँ की कमान में जो रिसाले थे उन पर टूट पड़े। उनको चाहिये था कि पठानों के ऊपर दौड़ते चले जाते पर उन्होंने यह भूल की कि खड़े हो गये और पठानों के बचने का आसरा देखने लगे। फिर हर हर महादेव कहते हुए वह पागल की भांति अपने बैरी पर टूटे और बहुतेरों को काट डाला और बहुतेरों को भगा दिया।
११-हजारों घोड़ों के दौड़ने से उस रेतीले मैदान में
इतनी धूर उड़ी कि शुजाउद्दौला ने जो अब तक चुपचाप खड़ा था यह भी न जाना कि मेरी दाहिनी ओर क्या हो रहा है और उसने अपने नौकर काशीराव को देखने के लिये भेजा। काशीराव लिखता है, "मैंने बली खाँ को घबराया हुआ इधर उधर दौड़ता देखा। वह क्रोध और दुख से