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कपड़े पहन लिये और पहरेदार से बोला कि मेरे स्वामी का जी अच्छा नहीं है मैं उनके लिये बाजार से औषधि लाने जाता हूँ। अह फिर लौट कर न गया सांँझ को तीसरा दूत आया और कहने लगा कि मैं ने शिवाजी को यहां से ४० मील पर देखा है। इस पर पहरेवालों का अफसर आप भीतर गया कि सोनेवाले को जगा दें। तब उस ने जाना कि शिवाजी निकल गया और उस ने बादशाह से कहला भेजा कि चिड़िया पिंजड़े से उड़ गई।

८-शिवाजी, उस का बेटा और नौकर रातभर झपटे हुए

आगे चलते और दिन को सोते थे। अब बनारस पहुंचे तो गङ्गा में नहाने गये। यहां उन को कुल-गरु मिला जो पूना की यात्रा करके गङ्गा नहाने आया था। शम्भूजी लड़का था और बहुत थक गया था वह सबका साथ न हे सकता था ; इसलिये कुल शुरु को सौंप दिया गया। वह एक गाँव से दूसरे गाँव और एक नगर से दूसरे नवार को चले गये। नित्य अपने कपड़े बदलते थे और वन में छिप रहते थे। उन्हों ने बड़ा फेर खाया और जवा महीने में फिर अपने देश में पहुंचे। जब शिवाजी चले थे तो राजसी कपड़े पहने हुए हाथी पर सवार थे और सैकड़ों महरठा सवार उन के आगे पीछे थे। अब लौटे तो उन के शरीर पर वस्र न था और राख मली हुई थी। यहाँ वह अपनी माता के चरणों पर गिर पड़े पर उस ने उस को तभी पहचाना जब