और हाय हाय करता था मानो उसे बड़ी पीड़ा हो रही है और वह एलङ्ग पर पड़ गया। दो तीन दिन पीछे शिवाजी बोला मैं अब अच्छा हूँ पर पलङ्ग पर से उठ नहीं सकता। उस ने कई बड़े बड़े टोकरों में मिठाईयाँ भरी और मक्खी से बचाने के लिये उन्हें कपड़े से ढांँक दिया। शिवाजी के नौकर नित्य दो तीन टोकर बाहर ले जाते थे और कहते थे कि राजा की आशा से उनके अच्छे होने पर कङ्गालों को बांटने के लिये मिठाइयाँ आ रही है।
४- पहरेवालों ने नित्य मिठाईयों के टोकरे देख कर वे
रोक-टोक उन को जाने दिया। शिवाजी डीलडौल में छोटे और दुबला पतला आदमी था। वह एक दिन एक टोकर में बैठ गया और अपने बेटे शम्भूजी को दूसरे टोकरे में बैठा दिया। नौकर दोनों टोकरों को बाहर ले गये और पहरेवालों ने भी उन्हें मिठाई से भरे समझ कर जाने दिया।
५-शिवाजी का एक भक्त नौकर उसी की भाँति छोटा
दुबला पतला था। वह उसी पलङ्ग पर लेट गया जिस पर शिवाजी पड़ा था। उसका नाम हीराजी था उसने एक मलमल की चादर ओढ़ ली और ऐसा जान पड़ा कि वह सो रहा है। उस ने शिवाजा की सोने की अंगूठी पहन ली थी और उस हाथ को बाहर निकाल दिया था जिसमें देखनेवाले जाने कि शिवाजी सो रहा हैं।
६-शिवाजी और उसका बेटा टोकरों में बहुत दूर
.