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(१४०) था। शिवाली अपना हाथ खोला और उस के बदन में अपना बाघनख भोंक दिया और बिछुये से मार डाला। इसी समय शिवाजी के सिपाही जो झाड़ियों में छिपे थे मुसलमानों पर टूट पड़े। मुसलमान न जानते थे कि महरठे उनके सिरपर हैं और न लड़ने को तैयार थे, सब भाग खड़े हुए।

८-अब शिवाजी को रोकनेवाला तो कोई था नहीं

वह अपने सिपाही लिये देश भर में फिरा। और महरठा सरदारों ने जो सुना कि अफ़ज़ल खां मारा गया और उस को सेना भाग गई तो बहुतेरे शिवाजी के साथ हो लिये शिवाजी ने सारे देश में यह प्रसिद्ध करा दिया कि हम मुसलमानों से हिन्दुओं को बचाने आये हैं। दक्षिण के मुसलमान बादशाह उन दिनों औरङ्गज़व से लड़ रहे थे और शिवाजी को दबा न सके। अन्त को बीजापुर के बादशाह ने शिवाजी से सम्धि कर ली और पश्विम का सारा दक्षिण देश उसके अधीन कर दिया।

६-इस समय ओरङ्गजेब दिल्ली के सिंहासन पर बैठ चुका

उस ने जो सुना कि शिवाजी बढ़ता जाता है तो अपने मामा शाइस्ता खाँ को दक्षिण का तायव बना कर और एक बड़ी भारी सेना देकर शिवाजी के दमन को भेज शाइस्ता खाँ अपनी सेना समेत पूना में आया। शिवाजी जानता था कि ऐसे बली बैरी से खुले खेत में लड़ाई नहीं हो सकती। उस ने साधु के कपड़े पहने पर कपड़ों