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ऊंँची पहाड़ी पर चढ़ जाता था। देश में कोई उस के बराबर गोली नहीं चला सकता था। उस की बन्दूकों और तलवारों के अलग अलग नाम थे और सब को अपना विश्वासी मित्र मानता था। उस ने सब से अच्छी बान्दूक का नाम दूरुस्तमन्दाज रखा था और उस से उस ने दो हजार जङ्गली जीव मारे थे।

१६—अकबर ने सिंहासन पर बैठने के बहुत दिन पीछे लिखना पढ़ना सीखा। उस को किताबों से बड़ी प्रीति थी और जब उस के राज्य में शान्ति रहती और उसे समय मिलता तो यह निल्य एक किताब सुना करता। उस के यहाँ हाथ की लिखी किताबों का बहुत अच्छा संग्रह था क्योंकि तब तक छापे का प्रचार न हुआ था।

१७—अकबर को चित्रों में भी बड़ी प्रीति थी। उसके दरबार में १८ प्रसिद्ध चित्रकार थे। वह गाना बजाना भी सुन कर प्रसन होता था। उस समय में तानसेन नाम का बड़ा प्रसिद्ध हिन्दु कलावन्त था। वह अकबर को गाना सुनाने को बुलाया जाता था। सामने के चित्र में तानसेन बैठा सितार बजा रहा है और गा रहा है, और अकबर ध्यान लगा कर सुन रहा है ; यह उस समय के बड़े पुराने चित्र की नकल है। यह चित्र जब बना था तो अकबर इतना बुड्डा न था! जैसा कि नवरत्नों के साथ चित्र खींचते समय था।

१८—अकबर बहुत भोजन न करता था। उस ने मद