सामाजिक शिष्टाचार
(१) सभाओं और पाठशालाओं में
सभाओ में प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम तीन बातों का ध्यान
अवश्य रखना चाहिये—(१) बैठक (२) बातचीत (३) शारीरिक
क्रिया । जहाँ हम बैठे हो वहां हमे यह देखना चाहिए कि
हमारे बैठने से किसी को कोई अड़चन तो नहीं होती। यदि
हम अपने पास बैठने-वालो से यह पूछ लें कि उन लोगाें को
हमारे बैठने से कोई कष्ट नही है तो यह अनुचित न होगा । दुसरे के दृष्टिपथ को
रोककर अथवा दूसरे से बिल्कुल सटकर बैठना अशिष्ट है । इसी
प्रकार हाथ पांँव फंलाकर और केवल अपने ही आराम का ध्यान
रखकर बैठना भी नि ध समझा जाता है। जहाँ सभाओ में खड़े
रहने का प्रयोजन पड़ जाता है वहाँ भी इस विषय का विचार
रखना आवश्यक है । जिस समय सभा में व्याखान होता है अथवा सब
लोग मौन धारण किये किसी विषय पर विचार करते हैं उस समय
आपस में जोर-जोर से बातचीत करना अनुचित है । सभा में जिसे
बोलने का अधिकार है वही सभापति की आज्ञा अथवा अनुमति
से बोल सकता है। यदि अनधिकारी व्यक्ति को बोलने की इच्छा
अथवा आवश्यकता हो तो वह सभा के कार्य में विघ्न डाले बिना
सभापति की आज्ञा से बोले । शारीरिक क्रियाओं के सम्बन्घ
में यह जान लेना आवश्यक है कि जोर से हँसना,खाँसना,
नाक साफ करना, बार-बार आसन बदलना आदि कार्यों से प्राय सभी को