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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


आवश्यकता जानी जाती है कि लड़कों को शिष्टाचार की मोटी-मोटी बातें बताई जावें और उनके अनुसार उनसे कार्य कराय जावे।

लड़को के बहुतसे आपसी झगडे व्यक्तिगत मिथ्या अभिमान से उत्पन्न होते हैं। कोई लड़का अपने को औरों से अधिक बलवान समझकर उनका अनादर करता है, कोई पढ़ने-लिखने में कुछ अधिक चंच्चल होने के कारण दूसरों को मूर्ख समझता है और कोई सीधे स्वभाव वाला विद्यार्थी उपद्रवी लड़को से मन ही मन घृणा करता है। इन अवस्थाओं में बहुधा अनबन हो जाती है और लड़के एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयत्न करते हैं। कोई-कोई लडके अपने पिता के धन या उच्च पद के अभिमान में दूसरे लड़को के सामने दून की हॉकते हैं और यदि कोई लड़का उनकी बात का खण्डन कर देता है तो वे उससे बदला लेने की घात में रहते हैं। किसी किसी विद्यार्थी का स्वभाव ही ऐसा दूषित होता है कि वह अपने मिथ्या महत्व के आगे किसी भी लड़के का महत्व सहन ही नहीं कर सकता । कई-एको में अपनी पोशाक ही का ऐसा अभिमान होता है कि वे दूसरे लड़को से सीधे बात ही नहीं करते और नम्र से नम्र प्रश्न का उत्तर बड़ी ऐंठ के साथ देते हैं । यहाँ कदाचित् यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि इन दुर्गुण से केवल लड़को की ही नहीं, किन्तु उनके माता-पिता की भी बड़ी निन्दा होती है।

लड़को और विद्याथियों में कूसंगति से बड़े-बड़े दोष उत्पन हो जाते हैं , इमलिये माता पिता को यह बात अवश्य देखना चाहिये कि लड़का किन लोगो को संगति में रहता है। कभी-कभी दुष्ट और नीच लोग भी स्वार्थ-वश अथवा अपनी दुष्प्रकृति के कारण कम उमर के लड़कों को दुराचरण सिखाते हैं। ऐसे लोगो की संगति