पृष्ठ:हिन्दुस्थानी शिष्टाचार.djvu/१४९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३१
छठा अध्याय


और न उनमे सडी-गली चीजें जमा की जायँ । लोग बहुधा रोगियो के स्नान का पानी अथवा उसके शरीर से निकली हुई दूसरी चीजें सडक पर इस विश्वास से फेक दिया करते हैं कि ऐसा करने से रोगी अच्छा हो जायगा और उसका रोग सड़क पर चलनेवालों को लग जायगा ! ये टोटके नीचता से परिपूर्ण हैं। सड़को पर पत्थर या काटे न टाले जायँ और यदि किसी को ये चीजें वहाँ मिल जाँय तो वह कृपा कर इहें सडक से अलग कर देवे । जहाँ तक हो ऐसे धन्धे-वाले लोगो को जिनके धन्यो म दुर्गध पूर्ण वस्तुओ का उपयोग होता है अपना काम-काज बस्ती से दूर करना चाहिये।

किसी सार्वजिनक स्थान को हानि पहुँचाना अथवा अपवित्र करना अथवा उसमें जाकर असभ्य व्यवहार करना शिष्टता के विरुद्ध है । कुएँ, तालाब अथवा नदी के जल को बिगाड़ना अथवा उनका उपयोग करने में किसी को रोकना कानून और शिष्टाचार दोनो के विरुद्ध है। जिन धर्म शालाओं या सरायों में लोगो को ठहरने के लिए बिना भाड़े के स्थान मिलता है उन्हें अपने उपयोग के पश्चाचात् स्वच्छ करके अथवा कराके छोडना चाहिये। सावजनिक स्थानों में कोई नशा करना, अश्लील गीत गाना अथवा किसी धर्म की निन्दा करना असभ्यता है । पुस्तकालयो में पुस्तको अोर मासिक- पत्रो को पढ़ने के पश्चात् यथा-स्थान रख देना चाहिये । उन्हें किसी प्रकार मोड़ना या फाइना न चाहिये।

खेल-तमाशो में स्थान छोड़कर बार-बार आना जाना, हल्ला करना, किसी के दृष्टि पथ को रोकना और व्यर्थ दंगा करना अनुचित है। जो स्थान स्त्रियो के लिए नियत हों उनमे पुरुषों को न जाना चाहिये और न उस मार्ग से निकलना चाहिये जहाँ से स्त्रियांँ आती जाती हों। नाटक वालों को ऐसे खेल न दिखाना चाहिये जिनसे दर्शकों को सुरुचि पर आघात पहुँचे या स्त्रियों की स्वाभा-