पोराबार--मोरासी धीरे धीरे भक्तमाण मोराको सुललित पदायली । तात मात लोग पुटम्म .. भारतवर्ष के कोने कोने फैल गई। इतने दिनोंके बाद . तिन कीनी उपहासी । रापा कुम्भको अपनी भूल सूझ पड़ी। अभी उन्होंने नन्द नन्दन गोपी ग्यान . समझा, कि मौरा इस चित्तोरको रानी मदों, ये तिनो भागे में नानी । मानवजातिके हदयराज्यको अद्वितीय सम्राशो है। उनसे. और समान, वाहिक में मम्मानफे सामने राजसम्मान तुरह। भक्ति पाठ कानी । राणा छायेश चित्तोरका परित्याग कर पृन्दायन । मीराके प्रमु गिरिधर नागर मापे। कुछ दिन बाद मीराने उन्हें पहचान लिया । ___मेरी जानत झूठी और योची ॥" और उनके चरणों में लेट रही। राणाने पड़े दीन म्यरमें प्रमशः इएदेयके लिये मोराका प्रेमोन्माद पट गया। मोरासे क्षमा प्रार्थना की। अब दोनों प्णप्रेममें उन्मत्त राणा उनके हृदयवेगको रोक न सके। मोरा मुफ्त दो मानन्दसे नृत्यगीत फरने लगे। • प्राणसे स्वाधीन विहङ्गमको तरद द्वारफा तक सभी __ राणा मीराको अपने साथ चित्तोर लापे। फिन्तु नीधाम एष्णगुणकीर्तन करने के लिये यापुल हो गई। । मीराफा अधिकांश समय पृन्दावन हो वीतता था। - पहले ये चित्तोर राजधानीका परित्याग फर हरिनाम. इसके बाद मीराने पृन्दावनमे द्वारका तक सभी तीर्थीमें :
- कीर्तन करती हुई गृन्दावन पहुंची। यहां आ कर उनके
परिभ्रमण किया। द्वारका कृष्णप्रतिमाके दर्शनकालमें। हृदयमें सेसा महाभाय उपस्थित हुमा था, पद लिख्य मीराने प्रेमाधु वहा प्रतिमाके पादपाको धो डाला था। । कर प्रकट नहीं किया जा सकता। ये श्रीधष्णफे प्रत्येक काहते हैं, कि मीराको भक्तिसे प्रतिमा दो टुकड़ों में यंट' लोलास्थानमें जा कर हरिनाम गान करती थीं। अनेक गई मोर मोरा उसमें अन्तहित हो गई। फिर किसीका समय तो ये प्रेमो भा कर मूच्छित हो जाती थी। उन. कहना है, कि चित्तोरके रणछोड़फे साथ उसी भाव । की असाधारण प्रेमभक्ति देस कर गृहस्प चैरागी उन. मिल गई थी। अलावा इसय मोराको जीवनीफे सम्बन्ध फे शिष्य दोनेको तैयार हो गये थे। द्वारकाम था कर और भी बहुत सी किंवदन्तियां प्रचलित हैं। यहां पर उन्होंने प्रेमाशु पक्षा कर रटदेवके चरणोंको अमिरिक्त विस्तार हो जानेके भयसे उनका उल्लेख नहीं किया किया था। इस बार भी राणा यास अप्रसन्न हो गये, गया। उनको यनाई भक्तपक्षकी कविता आज भी घरं घर सुनी जाती है। उदाहरणार्थ एक दो कविता पोछे अपनी भूल मालूम हुई। मीरा लिये राणाने नीचे दी गई है,-- गनेफ कृष्णमन्दिर बनवा दिये। कहते है, कि एक दिन (१) "मंसिया भ्याम मिलनको प्यागो । मोराने भगयान् रणछोड़को प्रत्यक्ष किया और सदाफे माप वा जाय द्वारा छाये लिपे उन्दी को गोदने अन्तर्षित होगा। भाज भो रण. लोक करत मेरी हामी । छोजोके साथ चिचौर, मोरायाईको पूजा होती है। भायको हारी कोया पोले ___ उनके भक्तगण मोगवार सम्प्रदाय काहलाते हैं। योलत शम्द उदासी । यह सम्प्रदाय ममो पदभावारीको एक नाया समझा मेरे सो मनमें ऐसी मात साता है। है फरतम लु जाप कागो । मीराबाई-उपासक-सम्प्रदाय। यह सम्माय घामाचारो. मौरा प्रमु गिरिधर नागर की हो एक गाम्या समझा जाता है। चरण कमलको दासी । (e) "गोपाल रख राची रयाम में सनसनी मोगम (१० बी०) यह धन मपनि सो फिमोफे मरने मग जन पिरे साये . ' पा उमफे उत्तराधिकारीको मिले, वातो। तिनटु में पाची । मोरासी-नारस भादि युप्रदेशयामो पर गुसलमान - - . +martern-