पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७५१

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पोर जाफर ६७१ एक पडयन्त्रको रचना कर दो । मोरजाफर हो इस चक्रान्त. गवर्नर डेक २ लाख का नेता था। हीनचेता मीरजाफरसे यदि सहायता न कर्नल क्लाइव २० लाख मिलती तो कभी भी अंगरेज कम्पनी बंगालमें अपनी वाटस गोटी जमा सकती न थी। मेजर किलपारिक सिराज और अगर जोंके बीच जो छोटी छोटी लड़ा. मानिदम इयां हुई उनमें मोरजाफर सिराज को ओरसे लड़ता था। विचार सही, किन्तु दिलसे नहीं। वह अंगरेजों को ही विजय । ६कौंसिलके सभ्य चाहता था। सिराजने जो मोहनलालको प्रधान मन्लो वाल्स बनाया था। यही इसका मुख्य कारण बतलाया जाता स्काफटन है। सिराज-उदोला देखो। लुसिंटन मोहनलालका मन्त्रिपद ही सिराजका काल हुआ। । सम्पूर्ण रूपसे स्वीकृत वा विशेष प्रमाण प्राप्त रुपयेका महाराज कृष्णचन्द्र, जगत्सेठ, रामा दुर्लभराम, मोरजा- ही इसमें उल्लेख है। अलावा इसके पड़यन्त्रके नेताओं- फर, घेसिटी घेगम आदि सिराजको सिंहांसन युत मेसे किसने कितना मुंड़ा था उसका हिसाव नहीं। करनेका पड़यन्त करने लगे। खोजा पिद्र नामक एक अर्मानी वणिक मोरजाफरका अभिप्राय पलासी विजयके १५ वर्ष वाद पार्लियामेण्ट महासभामें जब अंगरेज-फर्मचारियों के रुपये लेनेका मामला पेश जतानेको आशासे याट्स साइवसे जा मिला। दोनों हुआ, तय लाइबने आत्मपथका समर्थन करते समय कहा सन्धिपत्र लिखा गया। अंगरेज कम्पनी अपना मत था, 'मीरजाफरसे इस प्रकार रुपये लेनेको मैं अन्याय लव निकालने लिये मोरजाफरको सहायता पहुंचाने में राजी हुई। १७५७ ई०को २३यों जूनको पलासोको ) नहीं समझता, इससे कम्पनीके पक्षमें भी कोई क्षति नहीं है।' लड़ाई में वङ्गालके भाग्यने पलटा खाया। युद्ध में मोरमदन । नवाय मीरजाफरने अलीवदोंका अनुसरण कर मह- और मोहनलाल खेत रहे । इतिहासकार कहते हैं, कि वतजनकी उपाधि प्रहण को। अभी उसका पूरा नाम , पलासोफी लड़ाईमें अंगरेज सेनापति क्लाइवके हाथ जो नवायका पराभव हुआ यह एकमाव नवावको | हुआ सुजाउलमुल्क हिसाम उद्दीला मोरजाफर अली शठतासे होगा था। पलाइव देखो। पां महप्पतजङ्ग"। उसके लड़के मीरनने शाहमत् जङ्ग युवक नवाय सिराजको यमपुर भेज फर मीरजाफर तथा भाई काजेम खांने हवतजङ्गको उपाधि पाई थी। नवावी मसनद पर बैठा। सुजाको विलासिता, अलो- नवायो मसनद पर बैठते हो मोरजाफरने बंगाल, यदों के बादशाहो पेशकश और वीके दंगेसे राजकोप विहार और उड़ीसा राजकर्मचारियों को अपने अपने . खाली आ रहा था । सिराज उद्दौलाने भी बड़ी भारी कार्य में नियुक्त रहनेका परवाना भेज दिया। १५यों फौज रन करे उसके खर्च-वर्चमें अपना धनागार खाली जुलाईको अगरेज-कम्पनीका याणिज्यपय साफ करने. कर दिया था। मोटी रकम हाथ लगेगी, समझ कर के लिये खास हुकुम दिया गया। पीछे कलकत्तेके टक- ही मोरजाफरने मगरज तथा अन्यान्य पड़यन्दकारियों- साल घरमें सिमा ढालने और सन्धिको शौका पालन को यथेष्ट पुरस्कार देनेका वचन दिया था अब उसने जब करनेका परवाना जारी हुआ। २६यों जुलाईको अगरेज. देखा कि सजाना खाली पहा है, तब वह भारी ऊहापोहमे दलपति छाइव और घाटसन आदिने मवायो सिलमत . पड़ गया। माखिर उसने किसी तरहसे रुपया चुकाने पाई थी। का इन्तजाम किया । कम्पनीके कलकत्तेके कर्मचारियोंने अर्थकच्छ ता हो मीरजाफरको काल हुई। उसके सह- इस उपलक्षमें मोरजाफरसे जो रुपया दुह लिया था। योगी चक्रान्तकारियोंने अब देखा, कि मीरजाफर प्रतिक्षा. उसको फिरिश्त नीचे दी गई है-- को दुई रकम देनेको तैयार नहीं, तप ने बड़े अप्रसन्न