पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६४८

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१८० मिर्जापुर अनाया वाजरा और जुार भी बहुनायनसे होता है। था। विजयगढ़ मार चरणादिगढ़ आदि गादों प्योरे. स्थानाम अफीमकी ती होती है। गढ़वालफे, ते तथा विन्ध्याचल के पासवाले प्रदेशमें ' सएडहरों के पाम पान पूर्व उपजता है। देखनेसे इसके पुराने इतिहासका बहुत कुछ पंता' : फल कसे और धाको छोड़ मिर्जापुरके जैसा चलता है। याणिय प्रधान म्यान दूसरा और नहीं है। कुछ समय विन्ध्याचलको तराईमें दुर्भध प्रसिद्ध घुनारगढ़ वना पहले गाले और रईग व्यापारफे लिये मिर्जापुर भारनमें हुमा है जिसे गंगा अपने जलसे पवित्र करती है। कहा पहला स्थान समझा जाता था। लेकिन धम्यई जम्पल जाता है, कि द्वापरयुगमें कोई देयता हिमालयसे फुमारी. पुर रेलये ग्युलने पर यहांका व्यापार थान कम हो गया : अन्तरोपको जा रहे थे। रास्तेमें उन्हें गंगा तटबत्ती .. है। तो भो इस प्रदेशको प्यापारका एक प्रधान पंन्द्र कह : विन्ध्याचलकी तराई मिली । वहां कुछ कार उन्होंने सकते हैं। यहां पीतलके धरतन, लाह और दरी यदुत । विधाम किया। उन्होंके चरणचिह्नसे चुनार या चनार जगहमें भेतो जाती है। इस जिलोंके उत्तर -गिडया- नाम हुमा है। । । रेलये और गङ्गा रहने के कारण व्यापारमें विशेष सुविधा उज्जनके राजा विक्रमादित्यके भाई भर्तहरिने राज्य. हुई है। गड-ट्रक रोम और दाक्षिणात्यके राजपथ भोगका त्याग कर विव्यानलमे यहुत दिनों तक योगा; कुछ भाग इस जिले हो कर गये हैं। अनेक कारणोंसे । भ्यास किया था। आज भी उनका मन्दिर मौजूद है जो in s tagो जिससे यहतेरे लोग इस स्थानका माहात्म्य यतलाता है। भत्त नाथका मन्दिर कराल फालके पास धने। पत्थरोंका यना है। इसको शिल्पकला देखने योग्य है। ____ भान फल बहुत जगहों में जङ्गल फाट मेतो बढ़ाई ___पश्चात् गङ्गाजल गीर पिन्ध्याचलको इस रमणीय .. जा रही है. लेकिन अभी तक दो तिहाई जमीन जनोंसे और प्रशान्त भायोंसे भरी सुन्दरता पर मोदित हो भरी है। मरकारके बन्दोवस्ती महालकी मालगुजारीको पृथ्वीराज इस प्रदेशमें रहने लगे थे। फुछ ही दिन बाद पत्तिदागे कहते हैं। काशीराजके अधीन जो पतनोदार खैरउदोन सुवुनगीनने मिर्जापुर पर अधिकार किया गौर है मंजूरीदार उसका नाम है। जमीदार के नीचे इन्हीं का मुसलमानी शासन चलाया। फिर कुछ समयफे याद : स्थान है। ये लोग किसानोंस मालगुजारी वसूल करते। स्यामिराज नामके किसो हिंदू राजाने मिर्जापुर विजय हैं। यहां किसान की हालत और जगहों से अच्छी किया था ! चुनारगड़के नोरणद्वार पर एक स्थानमें . है। लेकिन लोग बडे आलमी होते है। पानी एक शिलालिपि है जिसमें १३३० मध्यत्। १२७३६०) नहीं पड़ने पर सिंचाईसे खेतोकी उन्नतिकी चेए। ये नहीं खुदा हुशा है। इस शिलोलिपिसे उक्त घटनाका प्रमाण करते। इमलिये दक्षियाफे गृहस्थ लोग अकालये दिन मिलता है। बड़ी मुसीयत में पड़ जाते हैं। . इसके बाद महम्मद साहयके रोहिल सेनापति साह इतिहारा।

युद्दोनने पूर्णरूपसे यहां मुसलमान राज्य स्थापित किया।

मिजापुर जिला काशी प्रदेशमा एक भाग ममहा। इस यंगके एक शासकको विघया सीसे विवाह जाता है। भतपय इसका पुराना इतिहास काशीराज्यके ' कर शेर ना या शेरशाहने १५३०६०में इस स्थान पर इतिहाम मिला हुमा है । मिर्जापुर शाद किसी मिजा । अपना अधिकार जमाया। १५१६ ० हुमायने रूमी के नाम से लिया गया है। मतपय पाम मिजांपुरका' खांकी सहायतासे ६ महीने इस स्यानको घेर पोछे दयाल पोरा मुसलमानो मलनगतर्ग, समयसै चला है। कर लिया। शेरशाहने गुनारगढ़ में साधय लिया। कुछ मिर्जापुरका पुराना इतिहास सुनार या चरणादिगदरू . दिन बाद यह स्थान फिर उसफेदाय लगा। । सम्यन्धमें कुछ दिया गया है। उनार देगा। १५७१६०में मुगलोंने फिर चुनारगढ़ पर कब्जा कर.. प्राचीन फाटमें मिझोपुर हिन्दु राहोंके मशीन : अपने गामनको हद कर लिया। १७५०१०में काशीराज .