पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६४७

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५७६ पिरि-मिर्जापुर - कर आसामकी ओर आने देख ये भी यहां लाये हैं। ये कम्मनाशा नदी पहले धीमी चालसे वह कर केराम- 'पर्वतों पर चढ़ने में यडे ही दक्ष हैं। और तो फ्या, पार्व. गौर परगनेमें गङ्गाजीसे मिलनेसे पहले चौड़ी हो गई तीय जिस पथमे वकरियां कठिनतासे आती जाती है। है। यह स्थान काशीके हिन्दु राजाओंके वंशपरम्परासे उस पथले ये बोझ ले कर सरलतासे आते जाते हैं। शिकारका जङ्गल है। इसे नौगढ़ तालुका भी कहते हैं। मिरिका (सस्त्रो०) एक प्रकारकी लता। इस भागमें हरे भरे वृक्षोंसे सुशोभिन छोटी छोटी पहाड़ियां मिरिच (हि स्त्री० ) मरिच देखो। सुन्दरताका अपूर्व चित्र दिखाती हैं। यह भाग जङ्गलों मिरिचियाकंद (हिं० पु०) रोहिस घास। और पहाड़ोंसे भरा है और इसमें अनेक छोटी छोटी मिर्च हिं. स्त्री०) कुछ प्रसिद्ध तिक्त फलों और फलियों- । पहाड़ी नदियां कलकल नाद करती हुई वहती है। यह का एक वर्ग। इसके अन्तर्गत काली मिर्च, लाल मिर्च, तालुका प्रायः जङ्गलोंसे भरी है। यहांकी नदियों में और उनकी जातियां हैं। विशेष विवरण मरिच शब्दमें देखो। कर्मनाशा और चन्द्रप्रभा प्रधान हैं। कार्मनाशा नदी मिर्चिया ( हि० स्त्री० ) रोहिस घास। ऊंचे स्थानसे अनेक जलप्रपातोंकी सृष्टि करनी हुई सम. मिर्जापुर-संयुक्त प्रदेशके गवर्नरके शासनमे वनारस | तल भूमिमें पहती है । जल-प्रपातोंमें देव-द्वारी और विभागका एक प्रसिद्ध जिला। यह अक्षा० २३ ५२ से । छानपाधर अत्यन्त प्रसिद्ध और रमणीय हैं। चन्द्रप्रभा २५३२° उत्तर तथा देशा० ८२७ से ८३३६ पू०के नदीके पूर्वतारी नामक एक जलप्रपात है। मध्य अवस्थित है। इसके उत्तरमें जौनपुर और काशी, इस विभागके बाद शोन नदीके पासको भूमि हो पूरवमें बङ्गालके शाहावाद और लोहरडंगा, दक्षिणमें विशेष उल्लेखनीय है। यहां बहुत-सी छोटो छोटी सरगुजा सामन्त राज्य, पश्चिममें इलाहाबाद तथा रेवा घाटियां हैं। इनमें कियाइघाटी अत्यन्त रमणीय है। महाराजका राज्य है। इसमे ७ शहर और ४२५७ गांव इसके दक्षिणमें सिनीलीको तराई है, जिसमें पत्थर लगते हैं। शहरों में मिर्जापुर सबसे बड़ा शहर है।। कोयलेके बहुत स्तर मिलते हैं। . इसकी आयादी करीव ११ लान है। ___जंगली जानवरों में वाघ, चीते और भालू बहुतायतसे प्राकृतिक दृश्य । .. . मिलते हैं। सांभर, हायना, भेड़िये, जंगली सूअर, संयुक्तप्रान्तमें मिर्जापुर जिला सबसे बड़ा है और चित्रमृग, नीलगाय तथा कृष्णसार आदि अनेक तरहके प्राकृतिक विचित्रतासे भरा है। उत्तर दक्षिण इसकी जन्तु यहाँ पाये जाते हैं। इस देशमें शिकारी और लम्याई १०२ मोल तथा पूर्व पश्चिम इसकी चौडाई ५२ | जलचर पक्षी अफसर नहीं दीख पड़ते । मील है। विन्ध्याचल और फैमूर पर्वत श्रेणियां इसको खेती और उपज । पूर्वी और पश्चिमी हिस्समें वाटती हैं। बिन्ध्या श्रेणो. ___गङ्गाके पासको भूमिको छोड दूसरे दूसरे स्थानमें के उत्तर गङ्गा किनारे को जमीन पंकोंसे भरी है । इस! खेतो नहीं होती। समूचे प्रदेशकी प्रायः आची जमीन भागको जमीन समतल है। दक्षिण भाग क्रमसे ऊचा पर किसी राज्यको मालगुजारी निश्चित नहीं है। इसको होता हुआ विन्ध्याचल पहाड़को तराई हो कर चला गया, दुधि परगना कहते हैं। इस परगने में काशी, सिंग्रौली ६। इस भागमें ऊची नीची तहुत-सी तराइयां दिखाई तथा कान्तित् इन कई राजोंके राज्यको कुछ अंश हैं। देती हैं। विन्ध्याचल और चुनारके पासको जमीन बहुत यहां धान, गेह', जी आदि अनेक प्रकारके. अन्न उपजते हैं। कुछ समतल है। यसन्त ऋतु रब्बी और शरद ऋतु खरीक काटनेका ... गङ्गाके दक्षिण किनारेसे शोन नदीके पास तक की समय है। सभी जगहोंमें जो खूब लगता है। वर्षा. तराई ७० मील फैली हुई है। यह समतल शेवसे ३००. कालके अलावा भी पानी पड़ता है। लेकिन यसरतमें से ८०० फीट तक अधिक ऊंची है। इस तराईके वीच- नायः पानी नहीं पड़ता। अतएव बड़ो आसानीसे खेती से कर्मनाशा नदी निकली है। . । . . चन्दनी है। उपजका तृतीयांश खरोक फसल है । इसके