पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६१२

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. पाद्देपर-पिंडाई नाम लिपस्सप नादर्भाग्यममाधिनाः। तरह एक अनुशासनपर इस आशय पर निकाला, कि नमान्मार नाम पर गुरगयापितम् ॥" यह चीनमें राज्यशासन करने के लिए स्वर्गसे भेजा गया माहेबाधा (सं० पु. ) ज्यराधिकारोक पापधभेद है। (तां १७६६ ई० में इस प्रकार अनुगासनगर निकाल थनाने का तरीका-दिगुल्ल, देवदार, मरलकाष्ठ, गव्यता कर दियाशके राजाको भगा सिंहासन पर बैठा था।) गोशी हरी, गन्धतण, शियनिर्माल्य, पटुकी, सफेद मजायर्गको सहानुभूति पाने के लिये सने जो पनि. मामी, निम्पत, मयूरपुच्छ, सांपका केचुल, बिडालको जिस लायक था उसे उसो काम पर भी किया था। विष्टा, गोमा मदनफल, यती, गण्टकारी, धानकी भूमी, जातीयभाषाकी उन्नति के लिये इसने जनमाधारणको घहुन घफरेको विष्टा, गाल की विष्ठा और हस्तिदन्न-इन सब, उत्साह दिया था। इसके शासनकाल में शिक्षा, मभ्यता, दथ्यों को मंग्रह फर यारेके मृता भावना दे। पोछे शिल्प और याणिज्यको यहुन अति हुई थी। घोगको उस्लीमें फूट फर मिट्टोके वरतनमें रग्व धूपिन फरे । यह ऐसो शिक्षा सम्पतासे मुग्ध हो देश-देशान्तरमे विद्यो- धूप एक दिन, दो दिन, तीन दिन, धीर नार दिनमें आने त्साही व्यक्तिगण यहां आये थे । इसाधर्म, बौदधर्म वाले सभी प्रकार विषम ज्यरको नाम करता है । जिस और फनफूचीके मत आदिक भान्दोलनसे चीनमें उश या यह धूप दिया जाता है, यहां उसको गंधमे मापदार्गनिक भायको उत्पत्ति हुई थी। पिशाय शादि घुमने नहीं पाता । 'यो नमो भगवते जेसुट-धर्मयाजक माटियो रिसिने चोगभाग दर्शन, उमापनये मम्गनाय नन्दिरेश्वराय ।' इम मन्त्रसे धूपको विज्ञान और धर्मग्रन्थोंका पाठ प.र उनमें असाधारण निमन्त्रण करें। व्युत्पत्ति प्राप्त कर ली थी। उसके शिक्षा नैपुण्य पर माहेश्वरी ( म० सी० ) मद्देश्यरस्पेयं पण झोप । १ यय- नीनयासी ऐसे लदा हो गये थे कि मि पुर्य-टि नामक निता, शॉगिनी नामकी लता। २ दुर्गा। एक चीनदेशीय विख्यात पण्डितने जेमुटधर्म का समर्थन "गदेवानुजागा गोमो मामलोचना । फर पुस्तक प्रकाशित की थी। इस समय चीन भाषामें मारण महामो नापते पार्यशी दिसा ॥" एक यड़ा भभिधान-प्रन्य सदलित हुमा। या अन्य (भाग० १४४३।१५) । २२००० भागों में विभादै और उममें ११ लाप पृष्ट हैं। ३५ मातृका नाम । ४ पोउस्थानभेद एफ.पीठ. चीन सुप्रसिद्ध राजकीय प्रन्थालय और दायीलमें इस का नाम । ( देवीमा० १२०७२) नदीविशेष । ६ वैश्यों। मगय १० लाख पुस्तक यो । १०यों सदी में प्रजाविद्रोदमे की एक जानि । मि-वंश सिंहासन-च्युन हुआ और एक मान्न सरदार fr-चीनदशकी एक जाति । इस ज्ञातिने १३७००से मिहान पर बैठा। १६५० तर चीनमें राज्य किया था। इस वंशका प्रति-मिंगनी (हि० स्रो०) में गनी देमा। छाता यु-पेन यां एक श्रमजीयौदा लड़का था। युया. मिगी (दि स्त्री०) मीगी देखा। वस्था यद किसी वौसमटमें एक नीकर था। पोळे मोग: मिंट ( पु.) १ रकमाल, पार स्थान जहां सिपके, लोोंने जय चोन पर धारमण किया, तय यह दलपति दलते हों। एक प्रकारका यदिया मोना, टकसाली दो पर उनके साथ लगा था। थोड़े ही दिनों के अन्दर सोना। पद एक परे सेनादलका गधिनायक हो गया । पीछे मिहार हिमो०) १ मोहने या मांजने को मिया या उग्दो गनाओंकी सहायतामे इसने भान-माम्राज्यफ १३ । माय । २ मोदनेकी मजदूरो। ३ देशों छोटकी पाit पनों को लेकर नपा राज्य संगठन किया। उस मार पर किया जो कपाटे को छापने वाद और पनि पहले इगर जगा गनीनिक शोर युयिनारद गता का भी होता है। इसलिये पानांगे भरी ए. गांदमे कुछ .. गा । . ' का नेट और बकरोगी में गनो नया दो एफ. और मसाले मिहामन पर गंटने हो इसने मागीन काल के नां-को : गाले जाते हैं, और उसमें कपड़ा तोग गार