पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५७४

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मालाकण्ट-पानागिरि "त्रिपुरस्य पये काने दास्यानोऽरतस्तु । । यह जाति विश्वकर्मा और शूद्रासे उत्पन्न हुई पर परा. भयो रिन्दपस्ते तु रुद्रामा ममाग भुषि" शरने इसे तेलिन गौर फर्मकारसे उत्पर बतलाया है। . (सगरमरपु.) __क्षिायो पाप मानाकारस्प सम्भरः।" । महार अनेक प्रकारका है। एक मुत्र, दो मुख, तीन { परासरपु.) मुमसे ले कर चौदद मुन सकफे मद्रासका उन्लेप देखने में ___ २ मालाकारक, मालो। पर्याय-मालिक, मालाकार, भाता है। एकमुत्र दो मुग्णयाला गद्राक्ष मासर देवनेमें पुष्पाजीयो, पनार्चफ, पुष्पलाप, पुग्लायकः । महो माता। यही कारण है.कि रघुनन्दनने तिथितस्य मालोके घरमें कौन कौन फूल रहनेमे यासो नहीं में सिर्फ पञ्चमुन यद्राक्षके दो माहात्म्यका विषय लिगा होता इस सम्यग्ध मेग्नन्सका यवन रस प्रकार है- है। चाह किसी भी प्रकारका गदास पयों न हो, __ "न पर्युषितदोषोऽस्ति नुनमीलिप नरके। पहननेसे मानधन माल होता है, समो पाप जाते रहते अलगे यकुलेगस्त्ये मामाकारपु न " (मेहनन्त्र) हैं और सगी कामनाएं सिम होतो हैं । पांय मुंह तुलसी, यिल्यदल, चम्पक, यपुल, भगरय सपा पाला रद्राक्ष मूर्तिमान कालाग्निरुद्र है। हम पहनने जलजात पुष ये सब मालीफे घरमै रहनेसे पयुपित दोष. से भगम्या गमन, अभक्ष्य भक्षण आदि सभी पाप नष्ट से भपवित्र नहीं होने । होते हैं। पदि दस्ता नक्षत्र में शनि रहे, तो मालाकार भादिको "पEया कामाग्नि नाम नामतः । पोहा होती है। भगम्यागमनाञ्चय ममनस्य च भन्नग्यात् ।। "रस्ते नातिनातिकचौरभिाविकानोपमाहा। मुन्गने सापाभ्यः पसरपरस्प धारप्पात् ॥" मन्यायः फौशलफा गालाकारम पीरपन्ते ॥" (ह. १०६) (तिघ्पादितलभूत सान्दपु०) पिशेष पिपरामासी सदमे देणे । ३गदी विशेर । ४ पल्लो दुर्गा, एक प्रकारको दूध । ५/ मालाकारी (सं० सी० ) मालकारको पस्नो। प्रेमिका भूम्यामलकी, मुरमायला । ६ उपजानि छन्दफेक फामिनियां प्रेमिकको अपना मभिमाप अतानेफे उद्देश्य मेदका नाम । सो प्रथम और द्वितीय परणमें जगण, / से मिलकी, दासी, धातो, मालाकारो मारिको भूतीरुप. रागण, जगण भौर गन्नमें दो गुर मया तीसरे और चौथे में भेजती हैं। भरणमें दो हगण, फिर जगण और अम्समें दो गुग "मनुपिया ममिया दासो पापी कुमारिका रमिका। होते है। मारो सामना मसी गारिती पूरयः ॥" मालाएट (सं० पु०) मालाकारा कएटाः एटका मस्य। ( ग० USE) मपामार्ग, विचढ़ा। मालफूटदन्ती (सं० सी० ) राक्षसीविशेष । मालाफएट (सं० पु०) गुल्मभेद, एक गुल्मका माम। मालामा-भारत-गासागरम्प द्वीपपुयिये। मालाकन्द ( स० पु.)माला गएउमासा-नाशकः कन्यः। पिस्ता किरण मशका कर देगा। १ मूलपिया, एक प्रकारका फन्द । पर्यापापिनकन्द, मालागिरि (दि. ३०) एक रंगका नाम। पद रंग टंग विनियादला, परिपाल, पादिकन्द, पदलता। पैर! भोर नामफलरो मनाया जाता है। मेरमा रेगका फूल में से तीक्ष्ण, दीपन, गुल्म भौर गएटमाटा रोगको पानी माट दिन सक मिगोपा जाता है कि दिनमें दो हरनेगाना सपा यार मौर गरमागर दिमाश ! पार गलाया जाताही प्रकार भाप से. मामालको मायापार (10 जी0 ) मादा पम माला पाणु पन् । गुरुमा पागोगे भिगोई जाती है भीर प्रतिदिन दो बार सतया ! माला। मला जाती है। टिदिन पार दोगी के ग पर मामार (स.पु.) मालो रोतीति एमा। एक प्रगान लिपे पाने मार फिर मिन्दा दिपेमाने । पाहर जातिका माम। प्रत्यये परापुराण के अनुसार शिर ममें बंद मागे गल कर दो पर कपड़ा रंगार