पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५६७

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पालवा-गालवी ब्राह्मण लोग अच्छी तरह शासन नहीं चला सकते थे, इसलिये सब स्थानोंकी सदर अदालत है। यहांफे पोलिरिकल मालवा उस समय पिण्डारी आदि दाक्षिणात्यके । एजेएट नीमचके दौरा जजका काम करते हैं। दुष्ट डकैतोका अडा हो रहा था। इन लोगों होके मालवा--पंजाधका एफ भूभाग । यह मा० २६ अत्याचारसे पाध्य हो उस समयके गवर्नर जेन · ३१ उत्तर तथा देशा० ७४ ३०७७" पूरयके मध्य रल लाई हेप्टिग्सने चौथा मराठा युद्ध ठान दिया । अवस्थित है। यह सतलजके दक्षिण है और यहां था। युद्ध में पिंडारी: लोग हारे चोर भाग गये। पोछे सिकन्न रहते हैं। इसमें फिरोजपुर तथा लुधियानाके भील लोगोंने लाई मालफमके समय में शान्तभाव जिले गोर पटियाला, किंद, नामा और मालर कोटलाके धारण किया। तमोसे इस स्थानके जंगल साफ हैं। देशी राज्य अवस्थित है। यह प्रदेश सिपख रंगझटोंको अनेश भीलीने मंगरेजी सेनामें प्रवेश किया । सरदार-! भतींके लिये प्रसिद्ध है और इस सम्बन्धमें यह केवल पुरमें चार सौ मालयाके भीलोंकी एक सेना है। १८यो। मांझासे नीचे है। कहते हैं, कि इस प्रदेशका यह नाम शताब्दीके मध्यम उतरे। मालवा १७८० ई०के पहले २५ । हालका है। मालयासिंहकी उपाधि यहांके सिपलोंको वर्ष तक, एफ वृहत् समरक्षेत्र बना रहा यहां मराठे, मुसल| उनको यहादुरीके लिये वन्दा धैरागीने दी थी। वन्दा मान और यरोपवाले परावर ते भिडते रहे। अन्तमें चैरागीने कहा था कि यह प्रदेश मालयाको जैसा ही १८१८ ई०में ब्रिटिश-प्रधानता यहां स्थापित हो गई। बाद समृद्धिशाली होगा। ४० वर्ष तक मालवामें कोई उल्लेखनीय घटना नहीं मालयानक (सं० पु०) जातिमेद । भुई। लेकिन १८५७६० गदरमें इन्दौर, मी, नीमच, मालविका (सं० स्त्री० ) मालयेषु जाता मालपटक-टाप् । अजर, महिदपुर और सेहोरमें विद्रोहीदल उठ बड़े हुए | त्रियत्, निसोथ। थे। १८६९-१६०० ईमें मालया घोर दुर्भिक्षसे पीड़ित मालविटपिन् (सं० पु.) कुम्मी पक्ष । रहा । १९०३ ईमें एक और मुसीयत आई, मालयामें मालयी (सं० स्रो०) १ श्रीरागको एक रागिणीका नाम । प्लेग हुभा जिससे अनेक जिलोंके बहुसंख्यक कृषक यम- यह मोड़व जातिकी है और पनुमस्के मतसे इसका खर. पुरको सिधारे। ग्राम नि सा ग म ध नि है। इसमें ऋषम थोर पञ्चम 'माज फल मालया अफोमके लिये प्रसिद्ध है। हर स्वर वर्जित है। कोई कोई इसे हिंडोल रागकी रागिणी साल प्रायः ८००० चसे अफीम विदेश भेजी जाती है। मानत है। २ पाठा, पाढ़ा। (नि.)३ मामतीय देखो। अनेक करद राज्यको ले कर पश्चिम मालया एजेन्सी। मालवावासण-उत्तर-पश्चिम भारतवासी ग्राह्मण जी. धनी है। एक अगरेज पजेएट इन सोंकी देख रेख को एक शापा । याराणसी गादि मान्तों में इस श्रेणी- करते हैं। जायरा, रत्लाम, सिलना, सीतामी आदि के बहुतसे लोग रहते दिखाई देते हैं। ये लोग लेखक- राज्य और उज्जैन, शाहजहानपुर, आगरा, मन्दशोर, का काम करफै थपना गुजारा चलाते है। कोई कोई नीमच, रामपुर, मेहिदपुर, कैथा, तराना, भालीत, पिरावा, वाणिज्य ययसाय भी करते हैं। परन्तु याजनादि कोई थायर, पांचपहाड़, एग और गंगरार जिले उक्त पजेन्सी. भी नहीं करते। • के अधीन हैं। मध्यभारतमें पड़छाति (छमाति) प्राह्मण नामक जो ___गीचे लिखे स्थानीके ठाकुरोंका अधिकार गयौएटसे। छः स्वतन्त्र दल है, घे भी अपनेको मालय-ग्राह्मण कहते मंजूर किया गया है। अजरन्दा, घर, विच्छीद, विलन्दा मिलता हैं। उनका कहना है, कि प्रायः ३० पीढ़ोसे ये लोग दाग्नि, दताना, धुलतिया, जयालिया, सालुपेरा, सालगढ़ जन्मभूमि मालयका परित्याग कर भारतकै नाना स्थानों. नरवार, ननगांय, नौलना, पन्तापिप्लोदा पिप्लिया, में बस गये हैं। जातितत्त्यविन् मि० सेरिने उन्हें ग. पिशोदा एवं शियगढ़। इन स्थानों का क्षेत्रफल १२००० । २०००। राती ग्रामणी एक शापा बतलाया है। वर्गमील है। जनसंख्या प्रायः १६ लाख। आगरेमें इन। उन लोगोंके मध्य किंवदन्ती है, कि किसो माल infere