मलकूट-मलकामणाली और नागपुरसे २१३ मील दूर पड़ता है। जनसंख्या | चौड़ाई २५ मोल है। भूपरिमाण १००० वर्गमील है। ___.. १५ हजारके 'गमग है। कहते हैं, कि करीव | मलय इतिहास पढ़नेसे मालूम होता है, कि मलयका , पौने • पांच सौ वर्ष हुए, खान्देशके फारफाफे नामक एक प्रकारफे वृक्षसे मलपकाका नामकरण हुआ कुमारने इस नगरको घसाया । पोछे इन्होंने है। मलपका जिलेके घोचका कुछ अंश पर्वतमालासे अपनी कन्या मलिफाके नाम पर इसका नाम रखा। पूर्ण है। . १७६१ ई०में पेशवा रघुनाथ रायकी सेनाने नगर टूट- गोमाके अलाया मलकाके पूर्वा में कहीं भी यूरोप. पाट आरम्भ कर दिया। अनन्तर तालुकदारने साठ ! वासियों ने उपनिवेश नहीं पसाया । उस समय पाणिज्य हजार रुपये देकर उनसे अपना पिंड छुडाया था ।१ची बन्दरोंमें यही स्थान प्रसिद्ध गिना जाता था । १५११ सदीके आरम्भमें यहां नालुकदार राजपूनों और मुसल- ६०में पुत्तं गाजान महम्मदशाहस मलका प्रहण किया। मानो में बड़ी मार फाट हुई थी। शहरमें काजीफे घरके १३० वर्ष तक यहां पुर्तगीजों का निर्विन अधिकार । सामने जो मसजिद है, कहते हैं कि वह शहरसे भी रहा। पीछे यह ओलन्दाजोंके हाथ लगा। मोलन्दाजी. 'पहलेकी बनी है। के ७४ वर्ष शासन करने पर अंगरेजोंने इस पर दखल मलकूद-दक्षिण भारतके कन्याकुमारीके निकट एक प्रदेश जमाया। शासनके आरम्भमें हो अगरेजोंने पहले पात- . नीन परिव्राजक यूएनचुवा काचीपुरोसे ५०० मील ! गीजोंका बहुमूल्य दुर्ग नए कर झाला । १८१८ में दक्षिण भा कर यहां पहुंचे थे। मलकूटप्रदेशके दक्षिण मलका फिरसे मोलन्दाजोंके हाय माया। किन्तु मंग- पश्चिम कोने पर मलय पर्वात विराजमान है। इसी। रेजोंसे उन्होंने येनकेलुन और सुमात्राके अन्यान्य निवेश पर्वत पर 'मलयागिरि' चन्दन बहुतायतसे मिलता है। ले कर मलकाको लौटा दिया। १८२५ ६०में जो सन्धि चीनमाषामें मलकूट मलयकूटके नामसे विख्यात है । इस | हुई उसमें यह स्थिर हुमा, कि द्वीपपुझमें विषुवरेखाका प्रदेशके दक्षिणमें समुद्र, उत्तरमें द्राविड़ राज्य, पूर्व में | दक्षिणस्थ स्थान ओलन्दाजोंके और उत्तरस्य. स्थान तोर, मदुरा और पश्चिममें कोयम्बटोर, कोचीन और अंगरेजोंके अधिकारमें रहेगा। लिवांकुर अवस्थित है। यहाँफे खनिज पदार्थों में टीन.सर्गप्रधान है। हजारो . मलयफ्टको राजधानी कहां थी, यह निश्चित रूपसे) चीनबासी टोनको पानमें काम करके अपना गुजारा . • नहीं बता सकता। कुछ लोगोंका अनुमान है, कि टेलेमी. चलाने हैं। विलायतमें जिस दरसे टीन मिलता है यहां के समय प्राचीन मदुरा नगरमें मलयकूटको राजधानी उससे आधा कम है। मलफा मगरके समीप ६ . थी, मथया कुशल नगरमें थी । सिवा इनके चरित्रपुर| गरम सोते हैं। इन सोतोका पानी १३७ डिप्रो गरम बन्दरफो भी इसकी राजधानी मानते हैं। रहता है। लङ्कादीप जाने पर यहां हो जहाज पर चढ़ना होता मलकाप्रणाली-मलय उपद्वीप यौर सुमाताफे मधावी • था। माधुरिहान और रसीदुद्दीनने फदा है, कि 'मलय'। जलपथ । वङ्गोपसागरसे भारतीय दोपपुग मानेमें इसी और 'कुन्तल' नामक प्रदेश भारतके दक्षिण में अवस्थित जल प्रणाली हो कर आना होता है। इसके उत्तरमें सिङ्गा
- थे। इन्हीं दोनों स्थानोंको एकमें मिला दिया गया और पुर द्वीप है । मलया प्रणालीका सोत इतना तेज तो नहीं
इसका नाम मलयफूट हुआ है। इससे प्रमाणित होता है पर दुरसे इसकी आवाज सुनी जाती है। गतको है, कि मलय' पाण्ड्य नामसे और 'कुन्तल' निर्वाकुर | अश व्यनिके लिये यह शब्द विशेष भयका कारण है। (सायनकोर ) नामसे अभिहित हुआ है। तर प्रवल येगमें आ कर जहाजमें टकर लगाती हैं। मलकोधक (स' पु० ) राजपुरुषभेद । (राजनर० ८1५१६) कभी कभी छोटी नायें इसके पंगको सहन न कर मलका-मलय उपद्वीपका एक नगर जो, समुद्रके किनारे । सकती और समुद्र में सूब जाना है। इसको लम्बाई ५०० अस्थित है। मलफा जिलेकी लम्याई ४० मील थोर मील मौर चौड़ा कहीं कहीं ३० से ३८० मोल तक भी