पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३९६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

_माणिका-~-पाणिपन्य . माणिका! मनी 1 मापक राप महारस्यस्य । अष्ट- माणिय काली (मपु० ! कदलोविरो, एक प्रकारका दल परिमाण। मणिकला-गरपियो जिलान्तर्गत एक बड़ा गांव ! या माणिषयचन्द्र (म.पु.) तीरभुमिके पर राजा। ये मक्षा० ३३२७३०" उ० या देशा० ०२१७१५० : धर्मचन्द्रफे पुत्र सशा रामयन्द्र पाल गौर मलदार रोलर यस्मिन है। ग्रहों का एक पौरस्तुप. १४ मठ, . के प्रणेता जर प्रतिपालक । १७ मागा और तरको योवार घर उधर पडी नता माणिययनन्द महि- जैन पगिटन मागरेनुके भाती है। मासे ३९६०को रोमक मुद्रा भीर एक निण। इन्होंने मतकाय प्रकारको टीका, मलायन पेरी पाई जिममें राना पनि का नाम ग्युदा है।' या पुवरपुराण मोर १२७६ मम्मामें पात्यनाथ परिक पारम्प या कनिकका है। मा0 अपरान शिह-: प्रणयन रिपे। . . . . . निम द्वारा स्थापित एक और मो नप देवने में माता है। माणिपपदेय-उणादि मूल पृत्ति दादोके प्रणेता महो. शानीय प्रयाद रामा माणिक यहांपा मबसे बड़ा | जौने इस टोकाका उन्लेग किया है। ... म्ना पाया गये हैं। माणिषयमय (म०वि०) पागग मण्डित, साहसे मना इम म्यानका प्राचीन नाम माणिकपुर है। याद : आ प्रधाननाफे समय या नगर 'मदासमा था। प्राचीन माणिक्यमल--एक हिन्दू राजा । किराताग्नुमोय रोका गान्धार राज्यमें प्रेमी प्राचीन बौदस्मृति और काहों भी और तबोध का प्रणेता । मनोरममा मफे नजर नहीं मानी । प्रगाद कि यह नगर सान गक्षमो सभापरिष्टन थे। . . . . फे भधिकारम | शिपालकोटफे राजा शालिवाहनफे माणिपण्यम्मन् -पवायके एक हिन्दु राजा। पुत्र रमाटुने राक्षमोको मार कर यह स्थान अधिकार माणिपासुन्दर भागार्य-- प्रमिन नानांच्या म्होंने मलय सुन्दरी धरिव, मनोधर चरिव, पृथ्वीचन्द्र चरित्र अमो पुष्ट गठी चिदके गमावा यहां प्राचीन नगर ! भादि मस्त प्राय टिम्ये हैं। गोमरस्लमूरिंगे मेगा- या दुर्गा को भी निदर्शन नहीं मिलना। यहां माफि , गित मदत की जो टोका लिगी थो, १५५ मावाने यति धलेपसन्दरका प्यारा पोहायुफैसला गाडा गण माणिपयमुन्दरने हो उसका मनोधन किया ! m, ममं यह क्यान मार तिहममें भी प्रसिद्ध है। माणिपारि (म0पु0) अकुम मारोगपिता। माणियम ० ) मणिप्रकार: मणि (पलादिम्पः ! माणिया (सोमाणिपाए । पेष्ठी. पिकली, महारपनने गन् । पाति प्रोमायांकन तो पर्याय-मुगलो, गृहगोपिका, गृहगोटिका, मिसिका, मपिश मेति मणिक संपादनावरायान । प १३) पी. सगरम्य, गृहोलिका। इति पानिकरयान् 'पन् । लवणं गायिर, लालमणिकर (मपु. परगानको परिगानिका एक • रंगमा करा सोहाल कहलाता है। पांय-जोपरया, भेद। रहलाद रपिरत्नर, गारो, रङ्गमापिपर. नाण, रत. माणिपार ( R० पु.) माणिपाका गोनापटप, एक मामक, गगपुष, पराग, रग. नोपोल, मोगन्धिा मालि। मोनिक कुविन्द । यह मधुर, स्निन्ध, यातपिसगानामापिगल (म' निक) मणिपाल गमगीय। तयार प्रयोगमें राही उपयोगी गौर धेा एमाग्न मानिसम्म (110) मांगपाधे गिरोन मणियार. है। पुषी और परा में देश म। पर जाना । २ मामशागपं. मग एक प्रकारका मानि .) mrमद (पु.) गलिममा पाया म मोर.निरोमति। मागिय (मोमणिमय गिरोम माजमा माधिपा-राना पाकरमा 'म मिल में गर्मी किया।