पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३४१

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पामुद ३०१ हजार यषसे इस तीर्थमें इतना धन आर रत्नराशि एकत्र। घड़ी कर ली जाती थी और इमै सोल कर भी अलग हुई थी कि, लोग इसे कुयेरको अलका कहते थे। किले की कर लिया जाता और फिर जोड़ दिया जाता था। फौजें यक्षकी तरह इस धनभाएडारकी रक्षा करतो थी। एक और ३० हाथ लम्या सुवर्णमय चन्द्रातप सुवर्णके महमूद इसका पता पा कर रनलोलुप शार्दूलको तरह खम्भों पर भयस्थित था। उसका ऊपरी भाग रोम दुर्गप्राचीरके निकट उपस्थित हुया ।। । नगरके वने कामदार रेशमी कपडे से ढका रहता था। भीमनगर पर भाक्रमणा। इसके सिवा छोटी छोटी अगणित चोजें यों। महमद पुनः पुनः अपने सैन्यको उत्तेजित करने लगा। महमूद इस बार अत्यन्त प्रसनताफे साथ गानी महमूदकी फौज वाणगङ्गाके प्रबल प्रवाहको पार कर ! चला। उमने राजधानी में पहुंच अपने आंगनको चादी. किलेकी चहारदीवारीके निकट पहुंची और बड़ी कठि से मढ़या कर उसमें मणिमुक्ता होरा भादि वरपर दिये। नतास दुरारोह पर्वत पर चढ़ने लगी। फिलेके पहरे. लाग्न अमलको मानिन्द मोटे मुक्ता, कई मौ मरकत, वालाने देखा, कि मुसलमान सैनिकोंसे पर्वत भर गया है। पन्ना, नीलम, चन्द्रकान्त, डिम्बाका कितने दो वेदव्य इतने मसलमानगण किलेके भीतर पहरा देनेवाले अप आदि मणिबएड उसके आंगनको प्रकाशित करने लगे। सप्पक सैनिकों पर शरवृष्टि करने लगे हिन्दुसैनिक इसके बाद महमूदने वागदाद और तुर्कोफे राजाओंको अनुत्साह हो कर कहने लगे कि, दैव ही हम पर रट है। बुला कर इस अतुल भएडारको दिग्नलाया । बूढ़े मुसल- अतएव उन्होंने कापुरुपता दिखा कर कुछ भी उमका मान मन्त्री कहने लगे, कि प्राचीन कालमें फारस और प्रतिकार न किया और फिलेका द्वार खोल महमदको घुला रोम साम्राज्यके राजाओंने इस धनरानिके महनांगका लिया। महमदने बड़े आनन्दके साथ किलेमें प्रवेश किया . एक अंश भी सञ्चित नहीं किया था। गौर तो पया, • और उस युग युगान्तरको संगृहीत धन-राशिको जा कर फारुणको विधाताने जो कल्पतरु प्रदान किया था, उनको देखा। दुर्गका रत्नभाण्डार कुवरको अलकाकी तरह भी इतनी मणिमुना नहीं थी। , अगणित मणिमुक्कादि और सोनेसे भरा था। लाखों मन् १.१० ई०में महमूदका माझमण नारायणी • वर्षकी सञ्चित धनराशि मणिमाला, स्थूल मुक्ता, साम्राज्य हुआ था। फिरिस्तामें इसका कुछ भी जिया नहीं की लूटी हुई अपार धनसम्पत्तिकी पर्वतोपम देर लगी भाया है, किन्तु मुसलमान इतिहासकारोंन इसका उल्लेख थो । यडे. बड़े राजाओंके दिपे शक्तिप्रतिमाया कण्ठाहार ' किया है। इतिहासकारोंने इसका माधुनिक नाम निक- भौर अन्यान्य आभूषणोंका जमाव दिखाई देता था । मह.' पण करने ने बड़ी गह बड़ी कर दी है। किसीका कहना मूदने अपने दो विभ्यासी नौकरके साथ इस धनागारमें है, कि नारायणका आधुनिक नाम नादिन और कोई प्रवेश किया। इन दोनों पर चांदो रपेको ढेरोंका भार कहता है, अनदलवाड़। जो हो, यहां आक्रमण करने में छोड़ आप मणिमुक्का तथा हीराको देरकी तरफ यदा। महमूदके विपुल साहमका परिचय मिला था। यहां मी महमूदफे लाखों में भी उस भतुल धनागारको उठाने में महमूदको अगणित सोना, रूपा, हाथी घोड़े प्राप्त हुए समर्थ नही हुए। सैनिकोंको हुक्म दिया गया, कि तुम थे। इसके बारंवार आफमणसे भीत हो कर जयपालने लोग भी दोभो। महमूदफे सैनिक मी ढोने लगे। सत्तर महमूदसे सघि कर ली। स्थिर हुआ, कि जयपाल करोड दिरहाम यानी मुद्रा, सात हजार चार गन सुवर्ण महमूदको बहुमूल्य पस्तुओंफे उपहारफे साथ ५० दायी, पंप और इसके सिवा सैकड़ों बनारसा साड़ियां, मखमली दो सहरन पैदल सैनिक दर वर्ष देंगे। . कामदार कपडे आदि कितनी ही गृहसामप्री मुसलमानों- सन् २०११ में महमूदने नारायण जय करने के बाद को हाथ लगी। इन चीजों में एक ६० हाथ लम्यो और ५० ! गाँड़राज्यको जीता और अपने माटये माफमण मुल- हाय चौड़ो चादीको यनी एक वृहन् भट्टालिका यो। यह तानकं करमनियोंको फैद किया। राजधानीको लूटपाट ऐसे कौशलसे बनाई गई थी, कि इच्छानुसार छोटी गौर कर महमूद दाउदको पकट गानी ले गया। Fol. XVII. 76