हिन्दौ विश्वकोष ना.) ( नित - - - सप्तदश भाग मर्यादासागर- कलचुरी वंशीय एक राजा, महाराजा-मपित ( स० वि०) मृषक । १ क्षमायुक्त । २ शान्ति धिराज सोडदेवफे पंधर। विशिष्ट । ' माशसिन्धु (मति० ) मादासागर, विशेषरूपसे । ___ "ताहामर्पितो भीमस्तस्य श्रेयान यधः स्मृतः। सम्मानित। म मर्तनात्मन दार्गे योऽहन मुप्तान गिशून वृथा ॥" मदिहानि (स'० पु० ) मर्यादाया हानिः । मर्यादा- (भागवत १५१) की हानि, सम्भ्रमको हानि। भाचे कामो०) ४ मर्पण, क्षमा। मर्यादिन (सं० लि०)१सीमायुक्त, सीमायान | २ अङ्कगत । मर्पितयत् (स.नि.) म वक्तयतु । क्षान्त । मादी (स० वि०) मर्यादिन देखो। मपिन् ( त्रि०) म.प-णिनि । मपंयुन। मरों (हि. स्त्री० , वह भूमि जो कर्ज लेनेयालेने सूदके मोंका (सं० रनो०) छन्दोभेद । बदलेमें महाजनको दी हो। मरहठा-महाराष्ट्र देखा। मर्ष (पु.) मृप धम् । शान्ति। मलंग (फा० पु०) १ एक प्रकारफे मुसलमान साधु। ये मर्पण (सं० लो०) मृष-ल्युट । १ क्षमा, माफो । २ धर्माण, मदार शाहके अनुयायी होते है और सिरको थाल पढ़ाते तथा नंगे सिर और नंगे पैर अफेले मीख मांगने फिरते ."न चाप्यधमन मुद्ददिभेदने परस्यहारे परदारमर्पणे। है। २ एक प्रकारका बड़ा दगला जो स्वच्छ सफेद रंग. कादर्दभाये न रमेन्मानः सदा नृणां सदाख्यानमिद विमानताम् ॥" का होता है। यद भारतवर्ष और यरमामें पाया जाता । (भारत ३'३१३१२९) है। यह प्रायः एकान्तमें मोर अकेला रहता है। (लि०) ३ मर्पक, रोकने या पटानेवाला । ४ नाशक, मलंगा (६ि० पु०) मतंग देन्यो । . मल (सो .) मृत्यते गोप्यते मृत ( मगेटिसाप च । मपंणोय ( स०नि०) मुप-मनीयर । मर्ष नाई, क्षमा उण १११०६ ) इति अलच रिलोपश्य, यहा मलते धार. करनेके योग्य । । यति ध्याध्यादि दोर्गन्धमिनि मन्द मन् । १ पाप ।
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