पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२३८

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महाराष्ट्र अधिकार जमा लिया और मुगल प्रतिनिधि तथा सर• राज-रक्षाके विषयमें यत्नवान् था; किन्तु अदूरदशी सुल- .... दार खानखानाको पराजित किया। इसके बाद वह तानने अन्यान्य परामर्शदाताओं के अनुरोधसे उसको राज्यके भीतरी संस्कारों और प्रजाके उन्नतिसाधनमें कैद कर लिया । इस कार्यसे निजामशाहीके दूसरे सर.. प्रवृत्त हुआ। उसकी प्रजाहितैपिता आज भी उस देशकी | दार भी भयभीत हुए। लुखजी यादवराव इससे पहले प्रजाके मुंहसे सुनाई देती है। भूमिकी मालगुजारीके | एक वार मुगलोंके पक्षावलम्बन करने पर भी इस समय सम्बन्ध प्रजाके हितके लिये जो सव संस्कार हुए निजामशाही राज्य-रक्षाको ही चेष्टा करते थे। किन्तु । उसमें भी समाजी आनन्द राव, शिवाजोपन्त, मुत्सुद्दो । सुलतानने सन्देह फर गुप्त सलाह . करनेके वहानेसे . और सखाराम मोकाशी प्रभृति मरहट्ट कर्मचारियोंने | बुला कर मरवा डाला। यादवरावके एक युवक पुत्र , . निजामशाही राज्यको कई तरहसे सहायता दे कर अमर-| थे। ये भी इसो दुर्घटनामें मारे गये। इस घटनासे . कोर्ति प्राप्त की है। मालिक अम्वरके इजारा पदपद्धतिका सारो मरहठा-सेना सुलतान पर क्रोधित हो उठी ।। उन्मूलन करनेसे प्रजा अति सुखी हुई। खजाना वसूली- लुखजीके भ्राताने मुगलोंका साथ दिया। उनके दामाद .. का भार ब्राह्मण-कर्मचारियोंके हाथ सौपना हो अम्बर | शाहजी भोंसले राज्यरक्षा विषयमें हताश हो कर पूनाके को उचित जचा था। इन सब नई व्यवस्थाओंसे प्रजाके चारों ओरके प्रदेशोंको यथासम्भव शीघ्र अपने अधि. सुखो और सन्तुष्ट होने पर मालिक अम्वर मुगलोंके | कारमें करने लगे। ये निजामशाहो और. आदिलशाही . विरुद्ध शक्तिसवाद करने में शीघ्रतापूर्वक समर्थ हुए थे। दोनों राज्यके शासनाधीन प्रदेशोंको हस्तगत करने इधर जहांगीरने अहमदनगर पर पुनः अधिकार कर लगे। इधर मुगल सैन्यने राजधानी पर अधिकार कर लेनेके लिये फिर सैन्य भेजा। इस समय मालिक | लिया । इस समय राजकर्मचारी जो जिस प्रदेशका, अम्बरने गुजरातके मुगल-सरदार अब्दुल्ला खांको परा- शासन करते थे वे उसे अपने अपने अधिकारमें जित किया था। मुगलोंने उस समय भेदसे वीजारपुरके कर स्वतन्त्ररूपसे शासन करने लगे। इस समय । आदिलशाहो सुलतान और अनेक महरठोंको फोड़ कर मरहठे सरदारॉमें कुछ एकताका सशार हुआ था। मालिक अम्बरसे अलग कर दिया । निरुपाय हो। शाहजी भोंसले इनके नेता थे। जूनानगरमें श्रीनिवास मालिक अम्बरको मुगलोंके साथ युद्ध करना पड़ा। नामक एक अमलदार था। उसने शाहजोके साथ मिल फलता मुगलोंने अहमदनगर और उसके समीपके कर शामगढ़ हस्तगत कर लिया। इसके बाद क्रमशः गांवों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद शाहजहां सैन्य संग्रह कर सडमनसे- अहमदनगर मीर दीलता. ससैन्य काश्मीर पर चढ़ाई करनेके लिये चला। यह बाद तक सारे प्रदेश उसके हाथ आ गये। शाहजीने देख मौका पा कर अग्यरने दक्षिणसे मुगलोंको भगा | विजापुर राज्यके जिन प्रदेशों को जीता था, उनका पुनय- कर निजामशाही राज्यका उद्धार किया। फिर शाह.. द्धार करनेके लिये विजापुर पतिने मुरारराय नामक एका जहांके दक्षिण लौटने पर मालिक अम्बरको पराजित ब्राह्मण सेनापतिको अधीनतामें सेना भेजो। इस सैन्य- होना पड़ा। इसके बाद मुगलोंके साथ मालिक अम्बर- दलने पूनाको वहुत क्षतिग्रस्त कर दिया था। का झगड़ा न हुआ। सन् १६२६ ई० में अस्सी. वर्षकी इस समय घानजहां लोदी उत्तर भारतमें दिल्लीके उम्र में मालिक अम्बरको मृत्यु हो गई। इसके ऐश्वर्य, वादशाहके विरुद्ध यलवा कर महाराष्ट्रमें भाग आया -1 औदार्य, ईश्वरनिष्ठा, सदाचार और न्यायपरताने मरहठों- शाहजी आदि मरहठे सरदार लोदोके साथ मिल गये। के चित्तको आकर्पित कर लिया था। । किन्तु जव शाही फौज दक्षिणमें उपस्थित हुई, तब लोदो- __ मालिक अम्बरके बाद उसका पुत फतह वा निजाम | को परित्याग कर उन्होंने शाहजहाँको अधीनता स्योकार कर शाही राज्यका एकमात्र कर्णधार हुआ। यह पिताको | लो। फलतः शाहजीको वादशाहको ओरसे पांच हजारी तरह युद्धिमान और कार्य दक्ष नहीं था, तथापि मालिकको' मनसबदारी मिली। लोदी व निजामराज्यमें मागा, .